बारह लग्नो और राशियों का फल
मेष राशि या मेष लग्न :- मेष लग्न या मेष राशि के मनुष्य का कद ठीक-ठाक,देह पतली पूरी तरह से गठीत,मुह आकार में लंबा और उनकी तेज नजर होती है।मंगल मालिकग्रह होने से मेष लग्न के मनुष्य का मिजाज तीखा व तेज होने से जल्दी जोश में आ जाते है। ये अपने को दूसरे से अच्छा दिखाने के लिए कोई भी कार्य फुर्ती से फटाफट करने वाले होते है। यदि मेष लग्न पर खराब असर पड़ने पर मनुष्य स्वयं के ऊपर जोश से अधिक विश्वास करने वाला दयालु ह्र्दयी का ऊंची इच्छा रखने वाले होते है। मेष लग्न के मनुष्य अपने को दूसरे से ऊपर समझने वाले अपनी सादगी से अपनी सोच पर अड़ा रहकर अपनी परेशानीयों को किसी भी तरीके से खुद समाधान करते है और अपना काम भी निकाल लेते है। मेष लग्न में चर राशि होने से लड़ाई-झगड़े या तर्क-वितर्क में अपनी ही सोच पर ही अड़े रहने वाले और अपनी रहन-सहन की शैली में बदलाव करते है। मेष लग्न के मनुष्य में कोई भी काम को अपने हाथ मे लेते है,उस काम को पूरी मेहनत से जल्दी पूरा करने में रुचि रखने वाले होते है,क्योंकि मेष लग्न में अग्नि तत्व की राशि होने से मनुष्य को आग की तरह तपाकर उसे पकाते है। मेष लग्न पर अच्छा दबदबा होतो मनुष्य झगड़े करना वाला अपनी सोच पर अड़ने वाला हो जाता है। मेष लग्न के मनुष्य में अधिक अच्छे फल में विश्वास रखने से किसी एक काम पूरा नहीं पर भी दूसरा काम को शुरू कर देते है और अपने रोजी-रोटी के धंधे में बदलाव करते रहने वे रुपये-पैसे की इकट्ठा नहीं कर पाते है। मेष लग्न के मनुष्य में प्यार में अधिक कामयाब होने से औरतें इनकी ओर खुद ही आकर्षित होकर जुड़ती जाती है। खराब असर मेष लग्न पर हो तो मनुष्य प्यार के मैटर में दूसरों को देखकर जलने लग जाते है। मेष लग्न के मनुष्य पुलिस, सेना,फ़ौज में अधिक विकास करते है,क्योंकि इनमें आग की तरह तेज जलने के आदत होने से इनमें हिम्मत कुटकुट भरी होंने जोश से इन कामों में कामयाब होते है। ये अच्छे सर्जरी करने वाले, मैकेनिक, इंजीनियर और पहलवान बन सकते है।
वृषभ लग्न या वृषभ राशि :-
मनुष्य का कद बीच का कुछ मोटे देह के होते है। मस्तिष्क थोड़ा चौड़ापन लिये,गर्दन में तालमेल और मन को आकर्षित करने वाली आंखे होती है। उज्ज्वल रंग के व काले लहराते बाल वाले, ऊंचे उठे कंधे वाले अच्छी तरह से गठित बहुत ही वजन का शरीर वाले इस लग्न के मनुष्य होते है।वृषभ लग्न में वृषभ राशि स्थिर व पृथ्वी तत्व की होती है।
वृषभ लग्न के मनुष्य में बहुत ही गम खाने की ताकत होती है। इनको अधिक छेड़ना पर बैल की तरह आवेश में आ जाते है और फिर आसानी से किसी भी के वश में नहीं हो पाते है। वे धीरे-धीरे कोई भी काम को पूरी लगन से करते है और अपनी ताकत को बिना मतलब के खत्म नहीं करते है।
इस लग्न के मनुष्य में सोचने की ताकत बहुत अधिक होने से वे कोई भी काम बिना जोश में आकर नहीं करने वाले और पुरानी सोच को मानते है। फिर समय अपना आने पर मौके का फायदा उठाने वाले होते है।
वृषभ लग्न पर खराब असर होने पर वे कुछ भी काम नहीं करने वाले और सब तरह सूख की इच्छा रखने वाले होते है।वृषभ लग्न के मनुष्य को अलग-अलग तरह के अच्छे स्वादिष्ट भोजन में रुचि रखते है।
इस लग्न के मनुष्य को जीवन मे भोग-विलास में प्यार होता है व रूपये-पैसे को कमाने का लक्ष्य जीवन मे होता है।
वृषभ लग्न या वृषभ राशि का मालिकग्रह शुक्र होता है,जिससे ये मन में अधिक कामना होने से खुश रहते है,जीवन के सभी भोग-विलास को पाने के लिए उत्सुक होते है,इस लग्न के मनुष्य अधिक कामक्रीड़ा के प्रति अधिक सचेत होने से इनका प्यार हमेशा बना रहता है और इस लग्न पर खराब ग्रहों का असर होने पर मनुष्य दूसरे पुरुष-स्त्री से सम्बन्ध बना लेने वाले होता है।
वृषभ लग्न के मनुष्य बीमार होने पर ठीक होने में अधिक समय लगता है,ऐसे तो ये तंदुरुस्त होते है और गाने,नाचने में,सिनेमा,ड्रामा में अधिक लालसा होती है। वृषभ लग्न के मनुष्य रुपये-पैसा कमाने में कोई संकट को मोल नहीं लेते है,रुपये-पैसे को इकट्ठा करने में लगे रहते है और खर्च के नाम पर अठन्नी भी खर्च नहीं करते है।
वृषभ लग्न का मालिक ग्रह शुक्र होने से मनुष्य भोग-विलास की चीजों- क्रीम-पाउडर,सेंट,जेवर,रत्न आदि का धंधा करते है।
वृषभ लग्न एक पृथ्वी तत्व की राशि होने से इस लग्न के मनुष्य भूमि को जोतकर कृषि काम को पसंद करते है।
वृषभ लग्न के मनुष्य अच्छे अभिनेता,संगीत को गाने वाले,फिल्म को बनाने वाले,सिनेमा-थियेटर के मालिक बन सकते है।
वृषभ लग्न के मनुष्य जिंदगी में अपने पति-पत्नी के साथ अच्छी तरह से जीवन का यापन करने वाले और अपनी मातृभूमि से बहुत ही प्यार करने वाले होते है।
मिथुन लग्न या मिथुन राशि :-
मिथुन लग्न के मनुष्य लम्बे कद के शरीर बिल्कुल ठीक-ठाक होता है,शरीर के हिसाब से भुजा कुछ लम्बी और मुख का रंग गेंहू के समान स्यामल होता है।
मिथुन लग्न वायु तत्व प्रधान राशि के होने से मनुष्य अपने मन के गुलाम होने से ज्यादा ध्यान नहीं देने से वे हमेशा खुश रहते है। रहन-सहन में समय-समय बदलाव करते रहते है। मिथुन लग्न का मालिकग्रह बुध के होने मनुष्य हर परिस्थिति में ढल कर अच्छी पढ़ाई और लिखाई करने के लिए सजर्ग होते है।
मिथुन लग्न दो स्वभाव की राशि होने से मनुष्य दो तरह से मन में सोचते हुए जल्दी से फैसला नहीं कर पाते है और अनेक तरह के जुदा-जुदा धन्धे करते है,क्योंकि उनके मन में तरह-तरह की सोच होने के कारण कोई भी काम को समय पर पूरा नहीं कर पाते है।
मिथुन लग्न के मनुष्य में तीव्र बुद्धि होने से भले-बुरे की जानकारी होती है जिससे वे पूरी तरह से छानबीन करने की योग्यता रखते है
मिथुन लग्न के मनुष्य तरह-तरह की जानकारी के प्रति जागरूक होते हुए दूसरी जगहों में घूमते रहते है।
मिथुन लग्न के मनुष्य अच्छी तरह अपना पति-पत्नी धर्म निभाते है और एक-दूसरे के स्वभाव में बदलाव को सहन नहीं करते है।
मिथुन लग्न के मनुष्य दक्ष गुप्तचर,रिसर्च स्कॉलर,सम्पादक,एकाउंटेट,वकील और ब्रोकर आदि बन सकते है
मिथुन लग्न के मनुष्य को दूसरे अधिकारी या आदमियों के नीचे काम करने पर ही सफलता मिलती है।
कर्क लग्न या कर्क राशि:-
कर्क लग्न के मनुष्य के शरीर का वजन अधिक होने उनके अंग कोमल होते है,लेकिन हाथ की पकड़ पक्की होती है। लेकिन इन लग्न के मनुष्य का पेट बीच की उम्र में बाहर की तरफ निकल जाता है,देह का आकार स्माल होने से चलते समय इनकी चाल से खुश होकर चलते है। कर्क लग्न में कर्क राशि का मालिकग्रह चन्द्रमा होने से वह हमेशा अलग-अलग तरह के आकार में बदलता रहता है। इस लग्न के मनुष्य के जीवन में भी तरह-तरह से बदलाव होते रहने के कारण से ये कभी आगे बढ़ते हुए व कभी पीछे की तरफ बढ़ते हुए विकास करते है।
कर्क लग्न के मनुष्य की मन के अंदर उपज की ताकत ज्यादा होने से ये बात-बात पर नाराज होकर अधिक जोश में आ जाने होते है।
कर्क लग्न के मनुष्य कभी हिम्मती बन जाते है,तो कभी कायर बन जाते है। इस लग्न के मनुष्य सामाजिक जीवन के मामलों में अधिक रुपये-पैसे कमाकर मान-सम्मान को पाने में कामयाब होते है। ये जल्दी आक्रोश में आकर तुरन्त ठंडे हो जाते है।
कर्क लग्न के मनुष्य पारिवारिक जिंदगी में अच्छी तरह से खुशी से जिंदगी को जीने वाले होते है, ये अपनी जिंदगी के प्रत्यक्ष ज्ञान को अपने बेटे-पोतो को अपनी याद रखने की क्षमता से उनको सुनाते हैं और उन पर अमल करने की शिक्षा देते है।
कर्क लग्न के मनुष्य अधिक सम्पन्नता को बीच की उम्र में पाते है,पूर्वोजो के रुपये-पैसे व जायदाद को बड़ी मुसीबतों एवं रुकावटों से पाते है।
कर्क लग्न चर राशि की होने से मनुष्य एक जगह ठहरने वाले नहीं होकर जगह-जगह पर फिरने के शौकीन होते है।
कर्क लग्न के सातवें घर का मालिक शनि ग्रह होने से मनुष्य बिना छल-कपट से जीवन को जीने वाले होते है,सातवें घर पर खराब असर होने पर इनका गृहस्थी जीवन में दुःखो के सागर की तरह हो जाता है।
कर्क लग्न के मनुष्य रुपये-पैसे से ज्यादा लगाव रखते हुए इनको इकट्ठा करने में लगे रहते है और खर्च करने में मक्खी चूस होते है।
कर्क लग्न के मनुष्य में बात-बात पर नाराज होकर अधिक जोश में आने का मिजाज होने से हिस्टिरिया,मन के अंदर किसी बात का डर रहनऔर खाने का नहीं पचना आदि बीमारी मुमकिन हो सकती है
कर्क लग्न के मनुष्य राजकीय सेवा,बहने वाले प्रदार्थों का धंधा,रत्न आदि के धंधे में अधिक कामयाबी मिलती है।
कर्क लग्न में गुरु ग्रह उच्च का होने से ये योग्य न्यायाधीश, मंत्री बन सकते है।