Breaking

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

विषयोग का परिणाम

विषयोग का परिणाम

विषयोग :- प्राचीन काल से हमारे ऋषि-मुनियों ने मनुष्य के जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे पूरी तरह से अध्ययन कर जांच-पड़ताल के बाद योगों को बनाया था। उन योगों के बनने के सम्बन्ध में कुछ बाते बतायी इन बातों से मनुष्य अपने जीवन मे पड़ने प्रभाव को अपनी जन्मकुंडली से पहले ही जान सकता है। जानने के बाद उसका समाधान करने पर उसको उस योग सम्बन्धी खराब या अच्छे फल मिल सके।उन योगों में से एक योग जिसे विष योग कहते है, यह विष योग मनुष्य के जीवन के अंदर जिस तरह से सांप के काटने से उसका जहर पूरे शरीर में फैल जाता है और पूरे शरीर में जहर फैलकर शरीर मे विकार या दोष पैदा कर देता है।उसी तरह से विषयोग मनुष्य के जीवन दुःखो के ऊपर दुख और जीवन को पूरी तरह से लाचार कर देता है।


विष योग :- मनुष्यों की जन्मकुंडली में मन्द ग्रह व सोम ग्रह के मिलने से या अलग-अलग जगह पर होने पर जो योग बनता है,उसे विष योग कहते है और इस तरह के योग होने पर भी विष योग बनते है-


1.मन्द ग्रह और सोम ग्रह  का जन्मकुंडली में एक ही राशि या भाव में होने से भी विषयोग बनता है।


2.मन्द ग्रह और सोम ग्रह मनुष्य की जन्मकुंडली के केंद्र स्थान (1,4,7,10) में हो तो भी विष योग बनता है।


3.मन्द ग्रह  का सोम ग्रह पर मनुष्य की जन्मकुंडली भ्रमण होता है, तब भी विषयोग बनता है।


4.मन्द ग्रहऔर सोम ग्रह का मनुष्य की जन्मकुंडली में एक-दूसरे की राशि में बदलाव होने पर भी विष योग बनता है।


5.मनुष्य की जन्मकुंडली में सोम ग्रह पर मन्द ग्रह के द्वारा देखा जाने पर भी विषयोग बनता है, मन्द ग्रह अपनी जगह से 3,7,10 वी पूरी दृष्टि होती है, एवं इस दृष्टि में सोम ग्रह होने से विषयोग बनता है


6.शास्त्रों के मतानुसार कृतिका,रोहिणी, मृगशिरा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त,चित्रा,श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्रों पर  मन्द-सोम का विशेष विषयोग का खराब योग बनता है।


विषयोग के नतीजे :-


मनुष्य भौतिक सुख के लिए मारा-मारा फिरता है,रोजगार-धन्धे अनेक तरह से करने पर भी विजय नहीं मिलती है। 


मनुष्य की जन्मकुंडली में इस योग के बनने पर मनुष्य जीवन में आध्यात्मिक क्षेत्र में ऊंची उड़ान भरता है, लेकिन वापस गिर जाता है।


मनुष्य के चमड़ी की बीमारी, देह पर सफेद दाग, खुजलाहट, कोढ़ आदि बीमारियों का इस योग के बनने से होता है।


मनुष्य के बच्चे की ओछी सोच वाले बन जाते है, इस योग के बनने से होता है।


मनुष्य का पूरा जीवन में सब तरफ से दुःख ही दुःख आने लगते है,मुश्किलों,संघर्ष सागर के समान होता है। इस योग से मनुष्य का जीवन में खराब या चरित्रहीन पति-पत्नी के अलावा भी औरों से सम्बन्ध रहते हुए बदनाम भी होते है।


विष योग होने से मनुष्य में बुरा काम करने की सोच,क्रिमिनल माईण्ड,दुश्मनों से हर वक्त घिरा रहने वाला, अपना मतलब के बारे में पहले सोचने वाले और अधिक चाह की इच्छा वाले हो जाते है।


बारह भावों में विष योग के नतीजे :-


पहले घर में :- मनुष्य की जन्मकुंडली में शरीर के घर में मन्द व सोम का मिलन होने पर मनुष्य को छोटे पन में मरने के समान परेशानी होकर माथे पर फोंडा-फुंसी का निकलने से माथे में दुखावा होना। गलत वस्तु खाने से शरीर में जहर हो जाना व मन का पूरी तरह से स्थिर नहीं होने से पूरी लगन से काम नहीं कर पाने से रोजगार-धन्धे  में गिरावट आने लगती है। जिससे दोस्तों और रिश्तेदारों से छले जाने से वैवाहिक जीवन में बिना मतलब का टकराव होकर अलग होने तक कि वजह बन जातीहैं।


दूसरे स्थान :- मनुष्य की जन्मकुंडली में धन-कुटुंब के स्थान में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को परिवार वालों व कुटुम्बियों की मदद नहीं मिलने से रुपये-पैसे के लिए दर-दर मारा-मारा फिरता है। जो मनुष्य जन्म से रुपये-पैसे वाले होते है लेकिन विषयोग से रोडपति तक होकर भटकते है और उसके बाद जीवनभर संघर्ष करते हुए निकलता है। औरत के बीमार रहने से और घर के जेवर गिरवे रखकर व्यापार करते है और घरवाली से पूर्व मर जाते है।


तीसरा भवन :- मनुष्य की जन्मकुंडली में भाई-बहिनों के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य के निकम्मा होने से भाई-बहिन से बिछड़ने से का दुःख सहन करना पड़ता है, पढ़ाई नहीं कर पाते है। भाग्य निरन्तर साथ नहीं मिलने से किसी भी के द्वारा विश्वास के साथ धोखा मिलने से धन्धे में गिरावट आने लगती है और बिना घरवाली व औलाद के बिना जीवन को भोगना पड़ता है।


चौथा घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में माता के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को माता के सुख में कमी,भवन,स्थायी सम्पति,मिलकत में बहुत ही बाधा का सामना करना पड़ता है। मनुष्य रात के समय मे सपनों में पानी को व सर्प को देखने से चमककर उठ जाता है। दूसरी औरत के साथ सम्बन्ध से समाज में बदनाम  होकर परिवार और वाहन सुख में गिरावट मिलती है। आदमियों के ह्रदय व औरतों के वक्ष जगह में दुखावा होने से सर्जरी तक कि नोबत बन जाती है। नोकरी में बाधा आने लगती है और धन्धे में दिवाला हो जाता है।


पांचवा घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में सन्तान के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को पढ़ाई व सन्तान से दुःखी होता है। मन्द स्वग्रही हो तो  भी सन्तान होती ही नहीं अगर होती है तो एक लड़की होकर उसके बाद कोख बन्द हो जाती है। मनुष्य दुःखी होकर भटकता हुवा तांत्रिक के पास जाता है और तांत्रिक बन जाता है और जीवन भर सन्तान के लिए दुःखी रहता है और उसके पेट में दुखावा रहता है।


छठा घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में बीमारी-दुश्मनी के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को ब्लडप्रेशर, डिप्रेशन, कमर में दुखावा आदि बीमारियों का शिकार होना पड़ता है।एक्सीडेंट या दुश्मनों से,पड़ोसियों से लड़ाई-झगड़े के कारण उसे अदालत तक जाने से बिना मतलब का धन खर्च होने से परेशान होते है।मनुष्य का दिमागी हालत खराब होकर अपनी जाति वाले रिश्तेदारों से मुश्किलें बढ़ जाती है। भागीदारी में घाटा आने से अनेक धन्धे करने पर भी सफलता नहीं मिलती है।


सातवां घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में पति-पत्नी व रोजगार के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को शादी में बहुत ही परेशानियों का सामना करते हुए बहुत बड़ी उम्र में शादी होती है। शादी के बाद पति-पत्नी के सेहत कमजोर हो जाती है और लड़कियों की बढ़ोतरी होती है। जीवन में आग से डर व रोजगार में उथल-पुथल होने से भाग्य हर वक्त उसके साथ छलकपट करता है जिससे उस मनुष्य का दिमाग अस्थिर हो जाता है। जीवनसाथी के साथ मतभेद व गृह-क्लेश होने से पिता के सम्बन्धो में कड़वाहट आ जाती हैं।


आठवां घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में मरण व उम्र के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को जन्मसे ही मरण से जूझना पड़ता है, नाक से पानी निकलने,शरीर को ठंडी लगना, पाईल्स ऑपरेशन,हाइड्रोसील ऑपरेशन, जल का घात, किसी झूठे आरोप में जेल को भोगना पड़ता है,आग से डर,बिजली से करंट लगने से मनुष्य को संकट को सहन करना पड़ता है।व्यापार में उतार-चढ़ाव से,भाई-बन्धुओं से धन नुकसान सहन करना पड़ता है। अंतिम समय में खाट पर पड़े-पड़े सोचता है कि ईश्वर मुझे उठा ले लेकिन ऐसा नहीं होकर उसे मरने की तरह कष्ट भोगने पड़ते है।


नौवां घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में भाग्य,धर्म,तीर्थ स्थान, गुरु के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को भाग्य का साथ नहीं मिलने नास्तिक बनकर दूसरी जगह अपने वतन को छोड़कर धन कमाने के लिए जाता है। खराब मित्रों से दुःखी होकर अपने भाग्य को कोसता रहता है,लेकिन अपने किये हुए कर्मो के कारण ही दुःखी रहता है। भाग्य हर वक्त छलकपट करते रहने से मेहनत का फल नहीं मिलपाने से दिमाग अस्थिर हो जाता है।


दसवां घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में कर्म भवन के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य जीवन में एक बार ऊंचा उठकर फिर ऐसा गिरता है कि वह बादमे सम्भल नहीं पता है। लुगाई का दुःख सहन करना पड़ता है,भवन,जमीन से सम्बंधित कोर्ट केस भुगतना भी पड़ता है। इस योग के मनुष्य तांत्रिक क्रिया में महिरत होकर अपने ही घर का बेड़ा गर्क करते हैं।


ग्यारहवां घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में लाभ के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य को पढ़ाई  और सन्तान का सुख बहुत मुश्किल से मिलता है। इस योग के मनुष्य अपराध की प्रवृत्ति होकर हवा ही किले बनाकर मोटी-मोटी करोड़ों की बातें करते है,लेकिन सफलता नहीं मिलती है। अपने माता-पिता का कहना न कर अपने दोस्तों की बातों में आकर आपना जीवन को बर्बाद कर देते है


बारहवां घर :- मनुष्य की जन्मकुंडली में व्यय,मोक्ष,भोगविलास, राज्य कदर,बन्धन,राजयदण्ड के घर में मन्द और सोम का मिलन होने से मनुष्य खराब दोस्तों की संगति करने से झूठे मामलों में कोर्ट-कचहरी में लगे रहते है। इस योग के होने से मनुष्य में कार्यो के बारे में सोचता रहता है, जिससे समय निकल जाता है और जीवन के कार्य पूरे नहीं हो पाते है,व्यापार अनेक तरह के करता है,लेकिन एक में भी सफल नहीं हो पाता है।


विषयोग के निवारण के उपाय :-


1.कर्क राशि में मन्द व सोम का मिलन होने पर खराब कम होता है,लेकिन खराब जरूर होता है।


2.सोम कर्क राशि व मन्द मकर राशि के होने से एक-दूसरे की राशि में बदलाव  योग होने से भी खराब कम होता है।


3.पराशर योग से मन्द व सोम शुभत्व योग करने पर विषयोग का भंग हो जाता है।


उपाय :-


1.किसी भी जानकर पण्डित जी मन्द ग्रह के 92 हजार व सोम ग्रह के 44 हजार मंत्रो का जाप करवाने पर विषयोग में शान्ति मिलती है


2.मंत्रो के जाप के बाद दशांश हवन,तर्पण,मार्जन,ब्राह्मणभोजन,दान-दक्षिणा  आदि करवाने से विषयोग में शांति मिलती है।


3.सभी तरह के उपरोक्त विधान के बाद सोम ग्रह का मोती व मन्द ग्रह का नीलम नगीने को मंत्रो से अभिषेक करवाकर पहनना चाहिए


4.पाठात्मक-अभिषेकात्मक एवं होमात्मक लघुरुद्र का विष योग में उपयोग करने से फायदा ज्यादा मिलता है।


5.बजरंगबली जी आराधना करनी चाहिए