चेहरे को पढ़ना(फेस रीडिंग) याचेहरे पर लिखा है आप कैसे हैं :- भारतीय ज्योतिष सामुद्रिक शास्त्र का ही एक अंग या भाग है। पुराने जमाने में इंसान के चेहरे की आकृति या आकार को देखकर भूत, भविष्य और वर्तमान समय को जानने का विधान था। उसी के आधार पर सामुद्रिक शास्त्र की रचना हुई। पश्चिमी देशों में चेहरे को देखकर भविष्यवाणियों का प्रचलन तो अब आरम्भ हुआ है। सामुद्रिक शास्त्र विधा से पता चलता है कि चेहरा आपके बारे में काफी कुछ बोलता है।
सामुद्रिक शास्त्र विधा भारत की एक पुरानी सामुद्रिक ज्ञान के रूप में आज भी अवस्थित है। चेहरे मिलाकर विवाह सम्बन्ध को तय करना एक रोचक विषय है। इस पर शोध कार्य अभी जारी है।
जहां जन्मपत्री के बिना विवाह आदि का निर्णय नहीं ले सकते या जिन लोगों के पास जन्मपत्री नहीं है, उनके लिए यह एक विश्वसनीय मार्ग या रस्ता हो सकता है।
चेहरे की आकृति से व्यक्ति के स्वभाव(नेचर) आदि के विषय में बताया जा सकता है।
किसी शायर ने कहा है कि तुमने तो पढ़े होंगे बेजान किताबों के पन्ने हम तो वो पढ़ते हैं जो चेहरे पर लिखा होता है। इससे यही ध्वनित होता हैं कि चेहरा हमारा हाल बता देता है, बशर्ते हमें पढ़ना आना चाहिए।
शास्त्रों में चेहरे की आकृतियों के आधार पर यह बताया गया है कि किस आकृति के चेहरे वाले इंसान का स्वभाव कैसा होता है। चेहरे की आकृति से पंच तत्वों में से उसके मुख्य तत्व का पता चलता है।
वैदिक साहित्य में त्रिकोण को शक्ति का प्रतीक माना गया है। वहीं आकृति विज्ञान में इसकी उपयोगिता चेहरे से मिलाने पर अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
त्रिकोण ऊपर की ओर प्रहारक अवस्था में रहता है और नीचे की ओर सृजनकारक या रचनाकारक हो जाता है। अतः श्रीयंत्र जब इस प्रकार ऊपर का बिंदु बनाता है तब वह संहार का कारक हो जाता है।सृष्टि उत्पति के समय श्रीयंत्र का आकार ले लेती हैं।
शास्त्रों के अनुसार
ऊपर की ओर होने पर त्रिकोण अग्नितत्व का कारक होता है।
जब त्रिकोण नीचे की ओर बिंदु पर केंद्रित हो तो वायुतत्व का कारक(चिन्ह) माना जाता है।
जीवन का मूल कारक गोल रूप में हो तो जलतत्व का कारक माना जाता है। शान्त शीतल जीवन देने वाला जल धरती पर 80 प्रतिशत है। यह उसी प्रकार है जिस प्रकार मानव शरीर में 80 प्रतिशत है।
रहने के लिए चोकोर रूप में हो तो पृथ्वीतत्व या धरतीतत्व का कारक माना जाता है। अतः धरती पर जीवन बिताने के लिए चकोर भूमि आवास ही प्रचलित हैं।
अंडाकार रूप में नजर आने वाला हो तो आकाश तत्व का कारक माना जाता है। जिसमें गहरा छिपा हुआ ब्रह्माण्ड जिसके गर्भ में है। अतः आकाश को अंडाकार ही स्वीकार किया गया हैं।
इस प्रकार इन पांचों प्रकृति के चेहरों और उनकी आकृतियों में वह सब कुछ समाया हुआ है, जो उनका स्वभाव है।
1.अग्नितत्व :- ऊपर की ओर होने पर त्रिकोण अग्नितत्व का कारक होता है और उनके गुणधर्म व स्वभाव आदमी व औरतों में निम्नलिखित है:
आदमी या पुरुष :- अक्सर दुबले-पतले,लम्बे मुख वाले तेज,खून के रंग समान आँखों वाले, तेज चलने वाले,तेज व अच्छी स्मरण शक्ति या यादास्त शक्ति वाले,शीघ्र गुस्सा करने वाले, जिद्दी स्वभाव के,सही व सामने बोलने वाले, घमण्ड से युक्त और चँचल स्वभाव के होते है। इस तत्व के इंसान निर्माण व ध्वंस दोनों कार्यों में लगे रहने वाले होते है। यह लोग अविकसित व अपराधी जगत् से सम्बद्ध हो सकते है। इनमें पाशविक व हिंसात्मक दृष्टि देखी जा सकती हैं।
औरतें या स्त्रियों :- अग्नितत्व की औरतें या स्त्रियां शादि में कम भरोसा करने वाली होती है तथा राजनीति में ज्यादा अग्रसर रहनी वाली हो सकती है। राजनीति में विशेष रूप से सफल होने वाली हो सकती है। यदि गृहस्थ जीवन में होने पर उनमे बर्दाश्त करने की क्षमता बहुत ही कम होती है। उसमें हल्की नोंक-झोंक तक को भी सहने की क्षमता नहीं होती, हमेशा घर में लड़ाई-झगड़े का माहौल बना रहता है। खून के रंग की वस्तुओं में अधिक रुचि रखती है। उन्हें चंचल, मादक द्रव्य सेवी,वाचालता पसन्द होती है। ये प्रायः स्वतंत्रता को पसंद करने वाली होती हैं।
2.वायुतत्त्व :- जब त्रिकोण नीचे की ओर बिंदु पर केंद्रित हो तो वायुतत्व का कारक(चिन्ह) माना जाता है।
आदमी या पुरुष :- हवातत्व वाले आदमी या पुरुष अधिक घूमने वाले, काम को जल्दी-जल्दी खत्म करने वाले होते है। इस तत्व के पुरुष अधिकतर मीडिया व फिल्म इंडस्ट्रीज में कार्य करने वाले होते है। वहीं ये खेल के मैदान में भी हल्ला मचाकर रखने वाले होते है। इनमें ताजगी, हौसला,स्वच्छन्दता,किसी भी बात की दलील देने में कुशल तथा सब जगह पर मन मे उम्मीद लगाने वाले होते है। इनमें किसी के बारे में जानने की तीव्र रुचि,किसी भी नई जानकारी के बारे में तलाश करते रहने वाले,प्यार व सुंदरता के प्रति लगावशील रहने वाले,कामक्रीड़ा के प्रति प्यासा रहने वाले तथा जीवनसाथी से इनके अच्छे सम्बन्ध नहीं रखपाने वाले होते है। अपने भविष्य को लेकर अत्यधिक स्वधान व लम्बी यात्राएं भी करने वाले होते हैं।
औरतें या स्त्रियों :- वायुतत्व वाली औरतें या स्त्री घर बसाने के लिए तेज रुचि वाली, फटा-फट काम करने वाली, साफ-सफाई को पसंद वाली व घर के कामो में कुशल होती है। इस तत्व वाली औरतें या स्त्रियां में नहीं अहम् होता है, न ही गुस्सा व वे नहीं बेवकूफ होती है। वें हर कोई माहौल में घुल-मिलकर सामंजस्यपूर्ण ढंग से रहने वाली होती है। इनमें उतावलापन देखा जा सकता है। समय व धन के खर्च के प्रति बेहद ही जागरूक होती है, जो कि अच्छे गुणों में गिने जा सकते हैं।
3.जलतत्व :- जीवन का मूल कारक गोल रूप में हो तो जलतत्व का कारक माना जाता है। शान्त शीतल जीवन देने वाला जल धरती पर 80 प्रतिशत है। यह उसी प्रकार है जिस प्रकार मानव शरीर में 80 प्रतिशत होता है।
आदमी या पुरुष :- जलतत्व वाले आदमी या पुरुष का चेहरा गोल होता है। इस तत्व के आदमी या पुरुष में मांस सार की तेज होने अवस्था होती है। इनके गाल भरे हुए,गुद-गूदे व चिकने होते है। हमेशा मन में खुश रहने वाले, समाज में अधिक प्यारा होता है, चंचल प्रवृत्ति मनोरंजन के शौकीन होते है। जलतत्व के व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि यह व्यक्ति सिद्ध या अवतार पुरुष होते है तथा शांत प्रकृति से समाज उत्थान में सहायक होते है। जीवन के आरम्भ में अत्यधिक मेहनत करते है। समाज के रिश्तों से ऊबे हुए, स्वस्थ,कल्पना में खोये रहने वाले, सपनों को देखने वाले,आध्यात्मिकता में अत्यधिक रुचि रखने वाले होते है। ये इंसान जीवन में मुसीबतों से सदा घिरे रहते है और हर मुसीबतों के बाद अपनी छाप छोड़ने में कामयाब भी दिखाई देते है।
औरतें या स्त्रियों :- औरतें या स्त्रियों के चेहरे जलतत्व के होने पर उनका स्वभाव चंचल होगी। वह श्रृंगार प्रिय,बहुत ही बुद्धि वाली,विदुषी होती है।वह अपने प्रियतम से ज्यादा प्यार करने वाली व अपने पति के प्रति भक्ति भाव एवं अनुराग वाली होती है। जलतत्व की औरतें या स्त्रियां योवावस्था में सीधी,सरल ह्रदय,दया का भावना वाली, स्नेही व चंचल होती हैं।
4.पृथ्वीतत्व :- रहने के लिए चोकोर रूप में हो तो पृथ्वीतत्व या धरतीतत्व का कारक माना जाता है। अतः धरती पर जीवन बिताने के लिए चकोर भूमि आवास ही प्रचलित हैं।
आदमी या पुरुष :- वर्गाकार चेहरे वाले आदमी या पुरुषों के ललाट व आँखों के ऊपर वाला भाग आकर्षक होता है। पृथ्वी तत्व आदमी या पुरुष भौतिक सुख साधनों से सम्पन्न सुखी और समृद्धिशाली होते है और इनके विचार मजबूत होते हैं। भौतिकता के प्रति इनका आसक्ति के अनुसार इनको भौतिकवादी कहा जा सकता है। इनमें तामसिक गुण अधिक होते है। यह मन ही मन में सोचने वाले या सपनों को देखने वाले होते है।
पृथ्वी तत्व के आदमी या पुरुषों की कमियां या दुर्गुण:-पृथ्वी तत्व के आदमी या पुरुषों में काम करने की चाहत नहीं होती है, जिद पकड़ने वाले, लम्बी सोच वाले, विलासी व बेवकूफ स्वभाव के होते है।
औरतें या स्त्रियों :- पृथ्वी तत्व प्रधान औरतें या स्त्रियों के शरीर के साथ-साथ सोच भी मोटी या बड़ी होती हैं। ये योजना बनाने में कुछ हद तक धीमे स्वभाव की लेकिन दूसरों के लिए व्यवहार कुशल तथा वस्तुओं को इकट्ठा करके रखने वाली होती है, परन्तु इनका चरित्र कमजोर हो सकता है।
5.आकाश तत्व :- अंडाकार रूप में नजर आने वाला हो तो आकाश तत्व का कारक माना जाता है। जिसमें गहरा छिपा हुआ ब्रह्माण्ड जिसके गर्भ में है। अतः आकाश को अंडाकार ही स्वीकार किया गया हैं।
आदमी या पुरुष :- अंडाकार चेहरा, चेहरे पर चमक और आँखों में विशेष तेज देखा जा सकता है। ऐसे लोगों में सतोगुण तथा तेजोगुण दोनों का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। आकाश तत्व वाले आदमी या पुरुष धर्मगुरु,उच्च राजनेता, महान साहित्य की रचना करने वाले तथा संचालन की विशेष प्रवृत्ति से सम्पन्न रहते है। ये जनता के प्रतीक होते है। ये उदार ह्रदय, दया की भावना वाले,इच्छाओं की अधिकता, गरिमा से सम्पन्न एवं आदर्शयुक्त व्यवहारिक होते है। इस वर्ग के लोग एकांत में रहने की रुचि वाले, सौम्य-तेजस्वी,ईश्वर पर विश्वास करने वाले एवं गुरु तत्वमय आत्मावंलबी होते है।
औरतें या स्त्रियों :- आकाश तत्व की प्रधानता वाली औरतें या स्त्रियां विशेष कुछ नहीं कर पाती, परन्तु तत्वज्ञान,वाचाल,व्यवहारिक, सतोगुण से युक्त देखा जा सकता है। शादी आदि से अक्सर डर रहता है। इस श्रेणी की औरतें स्वभाव से धर्मपरायण, साफ-सुधरी,काम को पूरा में लगनशील, सेवा करने वाली,ईश्वर के प्रति भक्तिपूर्ण एवं सौभाग्यवती होती है।