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रविवार, 11 अक्तूबर 2020

शुभ फलदायक अक्षय तृतीया

शुभ फलदायक अक्षय तृतीया

शुभ फलदायक अक्षय तृतीया :- भारतीय वांग्मय में अक्षय तृतीया का बहुत महत्व बताया गया है। शास्त्रों के मतानुसार अक्षय तृतीया से ही सतयुग व त्रेतायुग का प्रारम्भ हुआ माना जाता है। अतः इसे 'युगादि तृतीया' भी कहते है। अक्षया तृतीया के दिन किया हुआ जप,तप,हवन,दान आदि अक्षय फलदायक होता है। अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहा जाता है।


यह माना जाता है कि सोमवार को व रोहिणी नक्षत्र में अक्षय तृतीया का व्रत होने पर बहुत ही अच्छा फल देने वाला होता है। यदि दोपहर के पहले से शुरू होकर प्रदोष काल तक तृतीया तिथि होने पर सबसे श्रेष्ट फलदायक होती है। पूजा-पाठ,दान,हवन आदि तृतीया तिथि के दिन करने से बहुत ही अच्छा फल मिलता है।


शास्त्रों के मतानुसार :- यदि पूजा-पाठ व दान आदि अक्षय तृतीया के दिन करने वाले मनुष्यों का जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। बद्रीनाथ धाम का पट इसी दिन को खोला जाता है। इस दिन रामजन्मभूमि के दर्शन का भी जुदा महत्व होता है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार नर-नारायण भगवान ने अक्षया तृतीया तिथि के दिन अवतार लिया था और परशुराम जी का अवतरण भी अक्षया तृतीया तिथि के दिन हुआ था। इसलिए अक्षया तृतीया तिथि के दिन नर-नारायण भगवान व परशुराम जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दिन तीर्थस्थलों आदि में स्नान करने का भी बहुत ज्यादा महत्व होता है।


मान्यताओं के अनुसार जो मनुष्य अक्षय तृतीया के दिन गंगा,यमुना आदि पवित्र नदियों, सरोवरों आदि में स्नान करता है,उन मनुष्य को समस्त तरह के पापों से मुक्त होकर मोक्ष मिलता है।


अक्षया तृतीया तिथि के दिन की विधि :- अक्षया तृतीया तिथि के दिन सुबह-सवेरे स्नान आदि से निवृत्त होकर चावल, दाल,आटा, नमक,चीनी,साग-सब्जी,घी,इमली,पंखा,फल,वस्त्र आदि का दान करना चाहिए तथा दक्षिणा देनी चाहिए।


शास्त्रों के अनुसार :- एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से अक्षया तृतीया तिथि के महत्व के बारे में पूछा,तो श्रीकृष्ण बोले-हे राजन! यह परम पुनीत तिथि है। अतः इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप,तप,हवन,स्वाध्याय,पितृ-तर्पण,दान आदि करने वाला मनुष्य अक्षय पुण्य फल का भागी होता है इसके बाद श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को धर्मदास नामक एक कुलीन व सदाचारी वैश्य की कथा सुनाई


धर्मदास नामक एक कुलीन व सदाचारी वैश्य की कथा :- पुराने जमाने में धर्मदास नाम का एक सदाचारी वैश्य था। वह देवी-देवताओं व ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला एक कुलीन व्यक्ति था। बहुत बड़ा परिवार का एक सदस्य होने की वजह से वह बेहद ही व्याकुल रहता था।उसने किसी से इस व्रत के महात्म्य के बारे में सुना।  फिर जब अक्षया तृतीया तिथि आयी तो उसने सुबह-सवेरे गंगा में स्नान कर, विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। उसके बाद में उसने नारियल के लड्डू,पंखा,जल से भरा घड़ा,जौ, गेंहू,नमक,सत्तू,दही,चावल,गुड़,स्वर्ण, वस्त्र आदि वस्तुएं ब्राह्मणों को दान में दीं। 


अपनी पत्नी के मना करने,कुटुंबजनों की ओर से चिंतित रहने,बुढ़ापे के कारण व रोगों से पीड़ित होने के बावजूद वह जीवनपर्यंत धर्म-कर्म व दान-पुण्य से विमुख नहीं हुआ  अक्षय तृतीया के पूजा-पाठ व दान-पुण्य के प्रभाव से अगले जन्म में उसका जन्म राजपरिवार में हुआ और वह एक प्रतापी राजा बना। इसके बावजूद उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई। श्रीकृष्ण ने कहा कि इस तरह अक्षय तृतीया के पूजा-पाठ,व्रत,दान आदि का बड़ा महत्व है


द्वादश राशियों वालों मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन करने वाले उपाय :-


1.मेष राशि :- मेष राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन देव गुरु  बृहस्पति की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद पीली वस्तुएं जैसे-स्वर्ण या सोना धातु, पीले कपड़े, चना,कदली फल,हल्दी आदि का दान करना चाहिए।


2.वृषभ राशि :- वृषभ राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन माता पार्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद श्वेत वस्तुएं जैसे-चावल,दूध,दही,चीनी,सफेद कपड़े,चांदी,मोती आदि का दान करना चाहिए।


3.मिथुन राशि :- मिथुन राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन भगवान गणपति जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद हरे रंग की वस्तुएं जैसे- हरे कपड़े,पन्ना,साबूत मूंग आदि तथा गोशाला में जाकर हरा चारा दान करना चाहिए।


4.कर्क राशि :- कर्क राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन माता सरस्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद सफेद रंग की वस्तुएं जैसे-सफेद कपड़े,गेंहू,आटा,चने की दाल आदि का दान करना चाहिए।


5.सिंह :- सिंह राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद लाल रंग कु वस्तुएं जैसे-लाल कपड़े,मसूर की दाल,गेंहू,माणिक्य आदि का दान करना चाहिए।


6.कन्या :- कन्या राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन भगवान गणपति जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद हरे रंग की वस्तुएं जैसे-हरे रंग के कपड़े,पन्ना, साबूत मूंग,मौसमी,अंगूर,अनार  आदि का दान करना चाहिए।


7.तुला राशि :- तुला राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना तथा शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद श्वेत रंगकी वस्तुएं जैसे-श्वेत कपड़े,दूध,दही,आटा, चीनी,हीरा आदि का दान करना चाहिए


8.वृश्चिक राशि :- वृश्चिक  राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन रामभक्त हनुमान जी पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद लाल रंग की वस्तुएं जैसे- लाल कपड़े,मसूर की दाल,सेव,गुड़,चना,गेंहू,मूंगा आदि का दान करना चाहिए।


9.धनु राशि :- धनु राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद पीले रंग की वस्तुएं जैसे-स्वर्ण या सोना धातु, पीले कपड़े, चना,कदली फल,हल्दी,गुड़,बेसन के लड्डू,जल से भरा मटका,पिला पंखा आदि का दान करना चाहिए।


10.मकर राशि :- मकर राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन मां दुर्गा जी व काली मां की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद काले रंग की वस्तुएं जैसे-काली उड़द की दाल,सरसों का तेल,लोहा,काले तिल,काले कपड़े आदि का दान करना चाहिए।


11.कुंभ राशि :- कुम्भ राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन मां दुर्गा जी व काली मां की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद काले रंग की वस्तुएं जैसे-काली उड़द की दाल,सरसों का तेल,लोहा,काले तिल,काले कपड़े आदि का दान करना चाहिए।


विशेष :- इस राशि के मनुष्य को इस दिन शनि के मन्त्र 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' का जाप करें और ब्राह्मण को भोजन,वस्त्र आदि दान करें, तो उन्हें विशेष लाभ मिलता है। 


12.मीन राशि :- मीन राशि के मनुष्य को अक्षय तृतीया तिथि के दिन भगवान विष्णु जी  की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा हवन आदि करने के बाद पीले रंग की वस्तुएं जैसे-स्वर्ण या सोना धातु, पीले कपड़े, चना,कदली फल,हल्दी,गुड़,बेसन के लड्डू,जल से भरा मटका,पिला पंखा आदि का दान करना चाहिए।