Breaking

रविवार, 11 अक्तूबर 2020

कुण्डली में कुयोग

कुण्डली में कुयोग

कुण्डली में कुयोग :- मनुष्य की जन्मकुंडली में ऐसे कुछ कुयोग होते है, जिनकी वजह से कठिनाइयों जैसे-पढ़ाई में मन नहीं लगना व मुश्किल होना,नौकरी-धंधे में कामयाबी नहीं मिलना,शादी में देरी या मुश्किल से शादी का होना और पति-पत्नी के सुख का नहीं मिलना या कमी होना। मेहनत करने पर भी रुपये-पैसे की स्थिति में परिवर्तन नहीं हो पाता है। मकान बनाने का योग नहीं बन पाते है। बीमारी का लम्बे समय तक पीछा नहीं छोड़ना आदि मुसीबतों का कारण जन्मकुंडली में कुयोगों के बनने से होता है।


कुयोगों के कारण एवं निवारण के उपाय :-ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के कुयोगों के बारे में बताया गया है, जिनमें से कुछ के कारण एवं निवारण के उपाय निम्नलिखित है


(क) पढ़ाई में परेशानी :- कुंडली का पांचवा घर,पांचवे घर का स्वामी, दशवा घर,दशवें घर का स्वामी, बुध-जीव, बलवान होने पर और इन पर शुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ने से  पढ़ाई में सफलता मिलकर अच्छी रहती है।


यदि पाचवें घर का स्वामी अशुभ घर में पाप ग्रह की राशि में या पाप ग्रह के द्वारा देखा जाता है, तो पढ़ाई में मुश्किल आती हैं।


यदि पाचवें घर का स्वामी नीच राशि में हो,पापग्रह के साथ हो, पाप ग्रह की राशि में या पाप ग्रह के द्वारा देखा जाता है, तो पढ़ाई में मुश्किल आती हैं।


पांचवे घर एवं दशवें घर में पापग्रह हो और इनके स्वामी कमजोर हो,तो पढ़ाई में मुश्किल आती है।


पांचवे घर का स्वामी या दशवें घर का स्वामी से छठे घर के स्वामी से या आठवें घर के स्वामी के साथ परिवर्तन योग हो,तो व्यक्ति अपनी मनपसंद विद्या के ज्ञान को प्राप्त नहीं कर पाता है।


बुध-जीव कमजोर होकर खराब घर में बैठे हो,तो भी इंसान अपने मनपसंद विषय की पढ़ाई करने में सफल नहीं हो पाता है।


निवारण के उपाय :- पढ़ाई की परेशानी को खत्म करने के लिए एवं पढ़ाई सम्बन्धी कुयोगों के निवारण के लिए कुयोग सम्बंधी ग्रह का पुखराज या पन्ना रत्न को धारण करना चाहिए ।


 मन्त्र :- 


ऊँ बुं बुधाय नमः।

ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।

ऊँ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पते नमः। 


आदि मंत्रो का जाप करवाना चाहिए।


(ख) धंधे या व्यवसाय में मुश्किलें :- धंधे में एक जगह पर नहीं टिक पाना,कई धंधे-नौकरी का बार-बार बदलाव का होना या धंधे-नौकरी में मन का नहीं लगना, उन्नति के अवसर का नहीं मिलना अथवा नौकरी का बहुत मेहनत करने पर भी मुश्किल से मिलना आदि कारणों की वजह जन्मकुंडली में कुयोगों के निशान होते है।


दशवें घर ,दशवें घर के स्वामी का कमजोर होना और 6-8-12 वें घर के स्वामियों से पीड़ित होने से धंधे-नौकरी में बार-बार उत्पन्न करते है


धंधे की बाधा निवारण के उपाय :- के लिए हीरा या माणिक्य रत्न को पहनना चाहिए।


मंत्रो का जाप :-


ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः।

ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सःशुक्राय नमः।

ऊँ ह्रीं ह्रौं सुर्याय नमः। 


आदि मंत्रो का जाप करने से धंधे सम्बन्धी मुसीबत का समाधान हो जाता है।


भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।


(ग) जायदाद की मुसीबत :- दूसरे,बारहवे और चोथे घर के स्वामी पाप ग्रह से सयोंग होकर आठवें घर मे स्थित हो,तो व्यक्ति सर्वदा किराये के मकान में रहता है।


दुश्मन जगह में पापग्रह होने पर या पापग्रह चौथे या सुख घर को देखने पर  व्यक्ति को घर का सुख नहीं मिलता है।


नीच राशि या दुश्मन राशि में भौम अथवा रवि के स्थित होने पर भी मनुष्य को घर का सुख नहीं मिलता है।


चोथे घर का स्वामी बारहवें घर में हो तो इंसान दूसरे के घर मे निवास करता है। आठवें घर में होने पर घर का अभाव होता है।


जायदाद की मुसीबत के निवारण के उपाय :- जन्मकुंडली में सम्बंधित ग्रह के साथ-साथ भूमिकारक ग्रह मंगल का रत्न मूंगा को पहनना चाहिए।


मन्त्र :-


ऊँ अंगारकाय नमः।

ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।


मंगल ग्रह से सम्बंधित मंत्रो का जप और दान देने पर घर आवास बाधा का निवारण होता है।


पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा व आराधना करने से घर,जमीन-जायदाद से सम्बंधित विवाद से मुक्ति मिल जाती है।


(घ) आर्थिक या रुपये-पैसे सम्बन्धी परेशानी :- रुपये-पैसे सम्बन्धी परेशानी की स्थिति के लिए जन्मकुंडली में दूसरा घर,दूसरे घर के स्वामी, ग्यारहवा घर, ग्यारहवें घर के स्वामी, जीव,भृगु से विचार किया जाता है।


यदि जन्मकुंडली में दूसरा घर,दूसरे घर के स्वामी, ग्यारहवा घर, ग्यारहवें घर के स्वामी, जीव,भृगु  कारक ग्रह कमजोर, शत्रु एवं नीच राशि में होने से रुपये-पैसे सम्बन्धी स्थिति खराब हो जाती है।


आर्थिक या रुपये-पैसे सम्बन्धी परेशानी का निवारण:-आर्थिक, उन्नति,धन समृद्धि के लिए सम्बन्धित ग्रह का रत्न नीलम या पन्ना को पहनना चाहिए।


मन्त्र :-


ऊँ ऐं ह्रिं श्रीं शनैश्चराय नमः।।

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

ऊँ बुं बुधाय नमः।।

ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुध्याय नमः।। 


आदि मंत्रो का जप करने आर्थिक, उन्नति,धन समृद्धि में बढ़ोतरी होगी।


आर्थिक, उन्नति,धन समृद्धि के लिए सम्बन्धित ग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना चाहिए।


माता लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए उनके मन्त्र का जाप करना चाहिए और वैभव लक्ष्मी जी का शुक्रवार को व्रत करने से लाभ की प्राप्ति होगी।


(च) कालसर्प योग :- जन्मकुंडली में कालसर्प योग एक कुयोग होता है। कालसर्प दोष के अंतर्गत राहु व केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाते है। कालसर्प के जीवन मुसीबतों वाला हो जाता है और जीवन में सुखों को कमी आ जाती है या जगह का बदलाव होना ,दुश्मनों द्वारा षड्यंत्र की योजना बनाना,विचारों में टकराव होना,रुपये-पैसे की कमी आना, बीमारियों से घिर जाना और बिना मतलब की मुसीबतें आदि का आना ये सभी इस योग के लक्षण है।


कालसर्प योग के निवारण के लिए :- सम्बन्धित ग्रह का रत्न गोमेद को धारण करना चाहिए।


मन्त्र :-


ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।। 


आदि का जाप करना व दान देने से अशुभ प्रभाव कम होता है।