जन्मकुंडली में गुण ही नहीं दोष मिलान भी जरूरी
आज के युग में ज्योतिष का व्यवहार में फैलाव बढ़ रहा है, वही दूसरी तरफ ज्योतिष को बकवास बताने वालों की गिनती भी कम नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह ज्योतिष का आधा-अधूरा ज्ञान रखने वालों की गिनती ज्यादा है। बदकिस्मतीवश तीन से छह महीने तक ज्योतिष का अध्ययन कर अपने आपको ज्योतिष का ज्ञाता कहलाने वालों की गिनती हाल के दिनों में ज्यादा बढ़ गई है। इसके अलावा मठ-मंदिरों में पूजा-पाठ करने वाले पुजारी भी स्वंय को ज्योतिष का ज्ञाता बताने से नहीं चूकते है।
ज्योतिष एक गहरी या गूढ़ विद्या है, जिसकी गणना के लिए गणित के बारे में जानकारी आवश्यक है। हममें से कुछ लोग ऐसे ही आधा-अधूरे जानकर ज्योतिषियों को जन्मकुंडली दिखाकर दो अनजान लोगों को विवाह के बंधन में बांध देते हैं, जिससे बादमे दोनों के बीच मे लड़ाई-झगड़े होना शुरू हो जाता है और बात कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाती है।
विवाह के लिए लोग गुणवान लड़का और लड़की ढूढ़ने में अधिक समय लगाते हैं, कुण्डली का मिलान जल्दबाजी से बिना जाने-पहचाने और बिना योग्यता आदि की बिना जानकारी से किसी से भी करवा देते हैं। यही वजह है कि कुंडली मिलान के बावजूद भी अनेक विवाहित जोड़े सुखी और समृद्ध नहीं रह पाते है।
कुछ लोग यह कहते भी सुने जाते है कि 'आज दुनिया चांद पर बसने की सोच रही है और समाज का बड़ा समुदाय जन्मकुंडलियों, मांगलिक दोषों आदि के फेर में है। इन सब कारण यह है कि हम ज्योतिष को पूरी तरह से समझ नहीं पाए है। जिस प्रकार एक्स-रे,अल्ट्रासाउंड, कैट-स्कैन आदि से हम शरीर की बीमारी के बारे में जान सकते हैं, लेकिन इलाज के लिए हमे किसी योग्य व जानकर चिकित्सक से सलाह लेनी पड़ती हैं।
उसी प्रकार से ज्योतिष वह विज्ञान है, जिसके द्वारा हम आने वाली घटनाओं का पहले से अनुमान लगा सकते है। यदि गणना ठीक-ठाक हो जाती हैं तो तस्वीर बदल सकती है। कुंडली मिलान, मांगलिक दोष आदि ज्योतिष का एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा दो अपरिचित लड़का-लड़की का मिलान कराया जाता है।
जब लड़को-लड़कियों का वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक व समृद्धिपूर्वक होगा तो कुशल व योग्य नागरिक उत्पन्न होने से राष्ट्र की उन्नति होगी। सुखी व समृद्ध परिवारों में ही बच्चे व बूढ़े सुखी रह सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर हमारे ऋषि-मुनियों ने कुंडली मिलान को विकसित किया था। इस प्रकार हम पर आश्रित होता है कि हम इसका किस प्रकार से उपयोग करें।
कुंडली मिलान से पूर्व विचारित लड़की-लड़के का व उनके परिवारों का भी मिलान करना चाहिए। यदि लड़के-लड़कियों में से कोई एक ज्यादा पढा-लिखा या ज्यादा कमाने वाला हो तो यह विवाह 'बेमेल विवाह' के वर्ग में आता है। यदि ऐसा विवाह हो जाता है, तो लड़की या लड़के में हीन भावना उत्पन्न होकर गृहस्थी में मतभेद-तकरार शुरू हो जाती हैं।
कुछ परिवारों में लोग अपनी लड़की को पढ़ाने-लिखने व अधिक आधुनिक बनाने पर जोर देते हैं और लड़का यदि नहीं पढ़ता है तो उसको कारोबार आदि में लगा देते हैं। यही से मुसीबत शुरू हो जाती हैं। क्योंकि परिवार के लोग समाज में अपनी शान-शौकत दिखाने के लिए कारोबारी लड़के के लिए भी पढ़ी-,लिखी, स्मार्ट, गौरी, अंग्रेजी बोलने वाली लड़की को ढूंढते हैं। दूसरी तरफ से लड़की वाली भी लड़के के व्यापार, पैसे को देखकर शादी के लिए तैयार हो जाते है। इस प्रकार शादी होने कुछ समय तक ठीक चलता है फिर मुश्किल शुरू होने लगती है, क्योंकि हर तरफ लड़की ही काबिलियत की तारीफ होने लगती है जिससे लड़के में हीन भावना घर कर जाती है और वह लड़का लड़की के साथ मारपीट व दुर्व्यवहार शुरू कर देता है। इसमें कुंडली मिलान का क्या दोष है।
शादी होने के बाद में वर या वधू में से किसी एक कि मृत्यु हो जाना भी इसी का एक दूसरा पक्ष हैं। इस प्रकार की स्थिति में लड़के की दूबारा शादी हो जाती है, लेकिन विधवा का पुनर्विवाह हमारे समाज में बहुत ही कठिन है। अतः कुंडली मिलान करते समय लड़के-लड़की की उम्र का पहले से अवलोकन करना चाहिए। इसके लिए कुंडली में यह देखना चाहिए कि वर-वधू की मारक या बाधक ग्रह दशा,अन्तर्दशा तो नहीं चल रही हैं। विवाह से पूर्व केवल कुंडली मिलान करना ही वर-वधू के सुखी जीवन का आधार का नहीं होता, क्योंकि कुंडली मिलान के समय केवल नक्षत्र का मिलान ही किया जाता है, जिसमें उनके स्वभाव, रुचि व सन्तान पक्ष को ही महत्व दिया जाता है, जबकि कुंडली मिलान के वक्त लड़का-लड़की का दोष मिलान, उम्र, मानसिक स्तर, धन आदि का भी आकलन किया जाना चाहिए।
कुंडली मिलान के वक्त बातों का ध्यान :- कुंडली मिलान के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
1.किसी जानकार ज्योतिषी से कुंडली का मिलान करवाना चाहिए।
2.विवाह से पहले लड़के-लड़की का शिक्षा का स्तर व मानसिक स्तर व कमाने का जरिया व परिवारों का स्तर की जांच कर लेनी चाहिए क्योंकि शादी दो परिवारों व दो दिलों का मिलन होता है।
3.दशा-अन्तर्दशा, दोष मिलान आदि भी लड़के-लड़की का पहले करवाना चाहिए।
4.जन्मकुंडली के नाम के आधार पर कुंडली मिलान करवाना चाहिए, न् की प्रचलित नाम से करवाना चाहिए।
5. जन्मकुंडली का विवरण सही व सठीक होना चाहिए केवल नक्षत्र मिलान करके भावी जीवन का निर्णय करना बुद्धिमता नहीं होती है। जीवन चलाने के लिए जहां स्वभाव व रुचियों का भी मिलान करना उचित रहता है। वहीं समृद्धि, एक दूसरे पर विश्वास, लंबी उम्र आदि का होना भी जरूरी है। हमारी जन्मकुंडली इन सबो का उत्तर देबे में सक्षम हैं।