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रविवार, 4 अक्टूबर 2020

परीक्षा में डर को निकालना

परीक्षा में डर को निकालना

परीक्षा में डर को निकालना ज्योतिषीय ज्ञान से :-

बालक हो या बालिका, सभी जातक का भविष्य 'आधान' या 'स्थापन' अर्थात् जब महिलाओं के गर्भ में गर्भ का धारण होने के साथ ही सुनिश्चित हो जाता हैं। उस वेला की कुण्डली  को आधान या स्थापन कुंडली कहलाती हैं। जब किसी का जन्म होता है, उस काल मे जो ग्रह और नक्षत्र होते है, उस काल की कुण्डली को जन्मकुंडली कहा जाता हैं। इन कुंडलियों के अनुसार ही सभी जातक की मेधा या बुद्धि का  निर्धारण  हो जाता हैं।। माता-पिता तथा अनेक पीढ़ियों के जीन्स भी जातक के भविष्य के अंदर साथ जुड़ जाते है।  जातक के खून तथा उसकी बनावट में इनका अस्तित्व में देखने को मिलता हैं। बालक-बालिका के पहले जन्म के कर्म, संस्कार, जिस घर मे उसका जन्म हुआ है, उसके कुल तथा वर्तमान परिवेश यानी ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव से बुद्धि, उम्र,कर्म आदि का निर्धारण होता हैं।

इसी ढांचे के आधार पर स्कूल-कॉलेजो की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के आने वाले समय का भी अध्ययन करना चाहिए। बालक-बालिकाओं के पढ़ाई में जगह का बहुत ही महत्व होता है। यदि उनका पढ़ाई का कक्ष अध्ययन की दृष्टि से अच्छा नहीं है, उसमें वास्तुदोष हैं, तो ,पक्के विचार से इसका उनके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ेगा। 

ज्ञान :- विद्यार्थियों को इस प्रकार के दोषों से बचना चाहिए।

1.सोने की दिशा :- विद्यार्थियों को सही दिशा में सिर को रखकर सोना चाहिए।

प्राक् शिर: शयने विद्याद्धन मायुंचदक्षिणे।
पश्चिमे प्रबलाचिंता हानिमृत्युरथोत्तरे।।

अर्थात्  विद्या को प्राप्त करने के लिए उनको पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए। रुपये(धन)-सम्पत्ति व उम्र को बढ़ाने के लिए दक्षिण दिशा में सिर को करके सोना चाहिए। मुश्किल बढ़ती है जब सिर को पश्चिम दिशा में करके सोते है और नुकसान व उम्र की हानि होती हैं, जब सिर को उत्तर दिशा में करके सोते हैं।

2.मंजन या दातुन :- परीक्षा में सफलता की प्राप्ति के लिए विद्यार्थी को पूर्व या ईशान कोण की ओर मुख करके दाँत को साफ करने के लिए मंजन या दातुन करना चाहिए। इस प्रकार से क्रिया करने से बालक या बालिकाओं में शरीर बिना किसी बीमारी का होगा व धीरता की बढ़ोतरी होगी, जिससे उनकी स्वयं की मनोकामनाओं या मन की इच्छा पूरी होगी।

3.भोजन या खाना :- बालक या बालिकाओं को खाना खाते समय सही दिशा में बैठकर खाना खाना चाहिए।

मुखस्य धृतिः सौख्यं शरीरारोग्य मेवचं।
पूर्वात्तरें तु दिग्भागें सर्वान्कामान् वाप्नुयात्।।

अर्थात् बालक या बालिकाओं को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ अपना मुख करके भोजन या खाना को ग्रहण करना चाहिए। जिससे उनमें ताकत और बुद्धि की बढ़ोतरी होगी।

4.विद्यार्थियों को परीक्षा का डर :- ज्यादातर विद्यार्थियों को परीक्षा का डर बना रहता है कि वे पास होंगे या फेल। जिन छात्र-छात्राओं का चन्द्रमा कमजोर होता है और पाप ग्रहों के साथ अथवा पाप ग्रहों की दृष्टि से सयुक्त होता हैं, उनको अपनी मन की कमजोरी के कारण से परीक्षा का डर लगा रहता है।

उपाय :- इस प्रकार के विद्यार्थियों को महादेव जी के मंदिर में जाकर के उनके दर्शन करके परीक्षा में जाना चाहिए। यदि विद्यार्थी महादेव जी को यदि बीली पत्र, दुग्ध आदि से पूजा-आराधना करके परीक्षा में जावें तो ओर भी अच्छा रहता है 

यदि चन्द्रमा का रत्न मोती को पूजन करवाकर धारण या पहने तो भी मन में से डर निकल जाता है। चौथा घर मेधा और पांचवा घर विद्या के आत्मसात करने का होता है। यदि इन दोनों घरों पर पाप ग्रहों के द्वारा देखा जाये तो उस पाप दृष्टि को दूर करना चाहिए।

5.वार का दोष निवारण :- वार के दोष को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए

सोमवार को कांच में मुख को देखना चाहिए।

मंगलवार को धनिया को उपयोग में लेना चाहिए।

बुधवार को मीठी वस्तु को खाना चाहिए।

गुरुवार को राई को खाना चाहिए।

शनिवार को घी को खाना चाहिए। 

इस प्रकार उपरोक्त वस्तुओं को खाने से काम में सफलता मिलेगी।

6.परीक्षा में जाने से पहले :- निम्नलिखित बातों का ध्यान देना चाहिए

माता-पिता, गुरु के पैर को छूकर जाने से ताकत-स्मरण शक्ति की बढ़ोतरी होती हैं।

प्रातःकाल उठकर अपने दोनों हाथों की हथेली को देखना चाहिए।

परीक्षा में जाते समय अपने जिस देवी-देवता को मानते हो, उनकी पूजा करके और उनकी पूजा में चढ़ाइये गए पुष्प को अपनी जेब में रख देना चाहिए।

इन क्रियाओं को करने से मन के अंदर विश्वास की बढ़ोतरी होगी जिससे घबराहट खत्म होकर अपने काम  में सफलता की प्राप्ति होगी।

7.वार के अनुसार कपड़े :- वार के अनुसार कपड़े पहनकर भी मन को शक्ति दे सकते है। क्योंकि वार की दृष्टि से अपने कपड़े भी पहन सकते है।

रविवार को गुलाबी,सोमवार को सफेद,मंगलवार को लाल,बुधवार को हरे,गुरुवार को पीले, शुक्रवार को आसमानी व चमकदार सफेद तथा शनिवार को काले वस्त्र को पहनकर विद्यार्थी परीक्षा को देने जा सकता है।

अध्ययन में महूर्त का प्रभाव :- किसी भी शुभ काम में मुहूर्त का बहुत ही अधिक प्रभाव पड़ता है।

प्रातःकाल चार से छह बजे के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं  इस समय में पढ़ाई करने से विद्या की प्राप्ति की क्षमता में बढ़ोतरी होती है और वाणी में प्रखरता आती हैं बुद्धि के स्वामी गजानन जी है जबकि बुध वाणी का कारक ग्रह है। वाक परीक्षा के लिए जाने से पहले गजानन जी का ध्यान करना चाहिए।

राहु इंजीनियरिंग की दिशा की ओर ले जाता हैं। शुक्र कॉमर्स, व्यावसायिक शिक्षा तथा कला से जोड़ता है। सूर्य प्रशासन विभाग से जोड़ता हैं। मंगल सेना व पुलिस विभाग से जोड़ता हैं।

गुरु उच्च शिक्षा की प्राप्ति करने में सहायक होता हैं।।शनि व बुध तकनीकी क्षेत्र व कम्प्यूटर आदि का ज्ञान में सहायक होता है।

चन्द्रमा रसायन व वनस्पति से जोड़ता हैं। मंगल व शनि मेडिकल क्षेत्र से सम्बंधित होता हैं। विद्यार्थियों को ग्रहों के अनुकूल ही फल की प्राप्ति होती हैं। फल की प्राप्ति नवें घर से मिलती हैं।

परीक्षा में जाते समय वार अर्थात् दिन का ध्यान रखना चाहिए। यदि दिन अच्छा नहीं है, तो  दोष का परिहार कर दही, पेड़ा को खाना शुभ माना जाता हैं।