दिनांक : 23 फरवरी 2022
आज का पंचांग
सूर्योदय का समय : प्रातः 06:52
सूर्यास्त का समय : सायं 06:17
चंद्रोदय का समय : रात्रि 01:02
चंद्रास्त का समय : प्रातः 10:57
तिथि संवत :-
दिनांक - 23 फरवरी 2022
मास - फाल्गुन
पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि - सप्तमी बुधवार सायं 04:56 तक रहेगी
अयन - सूर्य उत्तरायण
ऋतु - शिशिर ऋतु
विक्रम संवत - 2078
शाके संवत - 1943
सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-
नक्षत्र - विशाखा नक्षत्र दोपहर 02:41 तक रहेगा इसके बाद अनुराधा नक्षत्र रहेगा
योग - ध्रुव योग प्रातः 08:26 तक रहेगा इसके बाद व्याघात योग रहेगा
करण - बव करण सायं 04:56 तक रहेगा इसके बाद बालव करण रहेगा
ग्रह विचार :-
सूर्यग्रह - कुम्भ
चंद्रग्रह - तुला
मंगलग्रह - धनु
बुधग्रह - मकर
गुरूग्रह - कुम्भ
शुक्रग्रह - धनु
शनिग्रह - मकर
राहु - वृषभ
केतु - वृश्चिक, राशि में स्थित है
* शुभ समय *
अभिजित मुहूर्त :-
आज अभिजित मुहूर्त नहीं है
सर्वार्थ सिध्दि योग :-
दोपहर 02:41 से प्रातः 06:04 (24 फरवरी) तक रहेगा
अमृत सिध्दि योग :-
दोपहर 02:41 से प्रातः 06:04 (24 फरवरी) तक रहेगा
विजय मुहूर्त :-
दोपहर 02:29 से दोपहर 03:14 तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त :-
सायं 06:05 से सायं 06:29 तक रहेगा
निशिता मुहूर्त :-
रात्रि 12:09 से रात्रि 12:59 तक रहेगा
ब्रह्म मुहूर्त :-
प्रातः 05:11 (24 फरवरी) से प्रातः 06:01 तक रहेगा
तिथि संवत :-
दिनांक - 23 फरवरी 2022
मास - फाल्गुन
पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि - सप्तमी बुधवार सायं 04:56 तक रहेगी
अयन - सूर्य उत्तरायण
ऋतु - शिशिर ऋतु
विक्रम संवत - 2078
शाके संवत - 1943
सूर्यादय कालीन नक्षत्र :-
नक्षत्र - विशाखा नक्षत्र दोपहर 02:41 तक रहेगा इसके बाद अनुराधा नक्षत्र रहेगा
योग - ध्रुव योग प्रातः 08:26 तक रहेगा इसके बाद व्याघात योग रहेगा
करण - बव करण सायं 04:56 तक रहेगा इसके बाद बालव करण रहेगा
ग्रह विचार :-
सूर्यग्रह - कुम्भ
चंद्रग्रह - तुला
मंगलग्रह - धनु
बुधग्रह - मकर
गुरूग्रह - कुम्भ
शुक्रग्रह - धनु
शनिग्रह - मकर
राहु - वृषभ
केतु - वृश्चिक, राशि में स्थित है
* शुभ समय *
अभिजित मुहूर्त :-
आज अभिजित मुहूर्त नहीं है
सर्वार्थ सिध्दि योग :-
दोपहर 02:41 से प्रातः 06:04 (24 फरवरी) तक रहेगा
अमृत सिध्दि योग :-
दोपहर 02:41 से प्रातः 06:04 (24 फरवरी) तक रहेगा
विजय मुहूर्त :-
दोपहर 02:29 से दोपहर 03:14 तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त :-
सायं 06:05 से सायं 06:29 तक रहेगा
निशिता मुहूर्त :-
रात्रि 12:09 से रात्रि 12:59 तक रहेगा
ब्रह्म मुहूर्त :-
प्रातः 05:11 (24 फरवरी) से प्रातः 06:01 तक रहेगा
* अशुभ समय *
राहुकाल :-
दोपहर 12:35 से दोपहर 02:00 तक रहेगा
गुलिक काल :-
प्रातः 11:09 से दोपहर 12:35 तक रहेगा
यमगण्ड :-
प्रातः 08:18 से प्रातः 09:44 तक रहेगा
दूमुहूर्त :-
दोपहर 12:12 से दोपहर 12:57 तक रहेगा
वर्ज्य :-
सायं 06:29 से रात्रि 08:00 तक रहेगा
विंछुड़ो :-
प्रातः 08:56 से प्रातः 06:52 (24 फरवरी) तक रहेगा
दिशाशूल :-
उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध पीकर यात्रा कर सकते है
चौघड़िया मुहूर्त :-
दिन का चौघड़िया
प्रातः 06:52 से 08:18 तक लाभ का
प्रातः 08:18 से 09:44 तक अमृत का
प्रातः 09:44 से 11:09 तक काल का
प्रातः 11:09 से 12:35 तक शुभ का
दोपहर 12:35 से 02:00 तक रोग का
दोपहर 02:00 से 03:26 तक उद्वेग का
दोपहर बाद 03:26 से 04:51 तक चर का
सायं 04:51 से 06:17 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा
* अशुभ समय *
राहुकाल :-
दोपहर 12:35 से दोपहर 02:00 तक रहेगा
गुलिक काल :-
प्रातः 11:09 से दोपहर 12:35 तक रहेगा
यमगण्ड :-
प्रातः 08:18 से प्रातः 09:44 तक रहेगा
दूमुहूर्त :-
दोपहर 12:12 से दोपहर 12:57 तक रहेगा
वर्ज्य :-
सायं 06:29 से रात्रि 08:00 तक रहेगा
विंछुड़ो :-
प्रातः 08:56 से प्रातः 06:52 (24 फरवरी) तक रहेगा
दिशाशूल :-
उत्तर दिशा की तरफ रहेगा यदि जरुरी हो तो दूध पीकर यात्रा कर सकते है
चौघड़िया मुहूर्त :-
दिन का चौघड़िया
प्रातः 06:52 से 08:18 तक लाभ का
प्रातः 08:18 से 09:44 तक अमृत का
प्रातः 09:44 से 11:09 तक काल का
प्रातः 11:09 से 12:35 तक शुभ का
दोपहर 12:35 से 02:00 तक रोग का
दोपहर 02:00 से 03:26 तक उद्वेग का
दोपहर बाद 03:26 से 04:51 तक चर का
सायं 04:51 से 06:17 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा
रात का चौघड़िया
सायं 06:17 से 07:51 तक उद्वेग का
रात्रि 07:51 से 09:25 तक शुभ का
रात्रि 09:25 से 11:00 तक अमृत का
रात्रि 11:00 से 12:34 तक चर का
अधोरात्रि 12:34 से 02:08 तक रोग का
रात्रि 02:08 से 03:43 तक काल का
प्रातः (कल) 03:43 से 05:17 तक लाभ का
प्रातः (कल) 05:17 से 06:52 तक उद्वेग का चौघड़िया रहेगा
आज जन्मे बच्चों का नामाक्षर :-
समय
पाया
नक्षत्र
राशि
जन्माक्षर
03:11 am
से
08:56 am
ताम्र विशाखा
3
चरण तुला ते
08:57 am
से
02:41 pm
ताम्र विशाखा
4
चरण वृश्चिक तो
02:42 pm
से
08:25 pm
ताम्र अनुराधा
1
चरण वृश्चिक ना
08:26 pm
से
02:08 am
(24 फरवरी)ताम्र अनुराधा
2
चरण वृश्चिक नी
समय | पाया | नक्षत्र | राशि | जन्माक्षर |
---|---|---|---|---|
03:11 am से 08:56 am | ताम्र | विशाखा 3 चरण | तुला | ते |
08:57 am से 02:41 pm | ताम्र | विशाखा 4 चरण | वृश्चिक | तो |
02:42 pm से 08:25 pm | ताम्र | अनुराधा 1 चरण | वृश्चिक | ना |
08:26 pm से 02:08 am (24 फरवरी) | ताम्र | अनुराधा 2 चरण | वृश्चिक | नी |
आज विशेष :-
आज ध्रुव योग में दूध दान करना शुभ फलदायी होता है आज बुधवार को बुध भगवान की मूर्ति का गंध पुष्पादि से पूजन करें सफेद वस्त्र धारण कर गुड़ दही और भात का नैवेघ अर्पण कर उन्ही पदार्थो का ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो बुध जनित दोष दूर होते है आज विशाखा नक्षत्र में इंद्र व अग्नि देव की उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही भोज्य धूप व दीप आदि से पूजा कर व्रत करें तो समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है
* बुधवार व्रत कथा *
* पूजा विधि :-
ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए । इस व्रत मे रात दिन में एक बार भोजन ही करना चाहिए । इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ठ है । इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धुप, बेल-पत्र आदि से करना चाहिए।साथ ही कथा सुन | कर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच मे नही जाना चाहिए ।
* कथा प्रारम्म :-
एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपनी ससुराल गया। वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। किन्तु सब ने कहा कि आज बुधवार है आज के दिन गमन नही करते है । वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना ओर हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। रहा मे उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है।
तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया । जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठकि अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा मे वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ मे बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है। मै अभी-अभी सुसराल से विदा करा कर ला रहा हूं।
वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे । स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है ? तब पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे अपना पति कहे । वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नही करना था । तूने किसी की बात नही मानी । यह सब लीला बुधदेव भगवान की है।
उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी । तब बुधदेव जी अनतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक करने लगे । जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही लगता है, उसको सर्व प्रकार से सुखो की प्राप्ति होती है
आज विशेष :-
आज ध्रुव योग में दूध दान करना शुभ फलदायी होता है आज बुधवार को बुध भगवान की मूर्ति का गंध पुष्पादि से पूजन करें सफेद वस्त्र धारण कर गुड़ दही और भात का नैवेघ अर्पण कर उन्ही पदार्थो का ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो बुध जनित दोष दूर होते है आज विशाखा नक्षत्र में इंद्र व अग्नि देव की उत्तम प्रकार के गंध फल फूल दूध दही भोज्य धूप व दीप आदि से पूजा कर व्रत करें तो समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है
* बुधवार व्रत कथा *
* पूजा विधि :-
ग्रह शान्ति तथा सर्व-सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए । इस व्रत मे रात दिन में एक बार भोजन ही करना चाहिए । इस व्रत के समय हरी वस्तुओ का उपयोग करना श्रेष्ठ है । इस व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा धुप, बेल-पत्र आदि से करना चाहिए।साथ ही कथा सुन | कर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए। बीच मे नही जाना चाहिए ।
* कथा प्रारम्म :-
एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपनी ससुराल गया। वहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। किन्तु सब ने कहा कि आज बुधवार है आज के दिन गमन नही करते है । वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना ओर हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। रहा मे उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति को कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है।
तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया । जैसे ही वह पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठकि अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा मे वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ मे बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है। मै अभी-अभी सुसराल से विदा करा कर ला रहा हूं।
वे दोनो व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे । स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है ? तब पत्नी शान्त ही रही क्योकि दोनो एक जैसे थे वह किसे अपना पति कहे । वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नही करना था । तूने किसी की बात नही मानी । यह सब लीला बुधदेव भगवान की है।
उस व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी । तब बुधदेव जी अनतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनो पति पत्नि नियमपूर्वक करने लगे । जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने में कोई दोष नही लगता है, उसको सर्व प्रकार से सुखो की प्राप्ति होती है