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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

हस्तरेखा शास्त्र मे अंगुलीयों के नाम

हस्तरेखा शास्त्र मे अंगुलीयों के नाम


हस्तरेखा शास्त्र मे अंगुलीयों के नाम

प्रत्येक मनुष्य के हाथ में चार अंगुलीयां तथा एक अंगूठा होता है। 

1. तर्जनी :- यह अंगुली अंगूठे के पास वाली होती है, इसको तर्जनी अंगुली कहा जाता है। इसके तीन पर्व होते हैं। इस अंगुली का अध्ययन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका सिरा किस प्रकार का है तथा उसका झुकाव किस तरफ है। झुकाव तीन तरह से हो सकता हैं। कुछ अंगुलीयां बिल्कुल सीधी होती हैं जबकि कुछ अंगुलीयां अंगूठ की तरफ झुकी हुई होती हैं। इसी प्रकार कुछ अंगुलीयां मध्यमा की तरफ झुकी हुई हो सकती हैं।

2. मध्यमा :- यह हाथ में सबसे बड़ी अंगुली होती है,  इसके बारे में अध्ययन करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसके पर्वो के बीच जो गांठें है वे गांठें बहुत ज्यादा फूली हुई हैं या मामूली हैं। ऐसे बहुत कम हाथ देखे जाते हैं जिनमें तर्जनी तथा मध्यमा अंगुली बराबर हो । परन्तु जिस हाथ में भी तर्जनी तथा मध्यमा उंगली बराबर हों वह व्यक्ति आत्म-हत्या करता है या उसकी मृत्यु स्वाभाविक रूप से नहीं होती।

3. अनामिका :- मध्यमा के पास वाली अंगुली को अनामिका अंगुली कहते सामान्यतः यह अंगुली मध्यमा अंगुली से छोटी होती है तथा लगभग तर्जनी अंगुली के बराबर लम्बी होती है इस अंगुली के झुकाव का विशेष अध्ययन करना चाहिए। यदि उस अंगुली का झुकाव मध्यमा की तरफ हो तो वह ज्यादा अच्छी तथा श्रेष्ठ कही जाती है। विपरीत दिशा में झुकाव होने से ऐसा प्रतीत होता है कि उस व्यक्ति का गृहस्थ जीवन ज्यादा सुखमय नहीं।

4. कनिष्ठिका :- यह हाथ की सबसे छोटी अंगुली होती है तथा सामान्यतः इसका अंतिम सिरा अनामिका के ऊपरी सिरे तक अर्थात् ऊपरी जोड़ तक पहुंचता है परन्तु जिस व्यक्ति के हाथ में यह अंगुली जरूरत से ज्यादा लम्बी होती है, वह व्यक्ति निश्चय ही सौभाग्यशाली होता है और अपने प्रयत्नों से वह उच्चस्तरीय सम्मान प्राप्त करता है।