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रविवार, 4 अक्तूबर 2020

नौ ग्रह और मानव शरीर में उनकी जगह

नौ ग्रह और मानव शरीर में उनकी जगह

नौ ग्रह और मानव शरीर :- मानव शरीर में नौ ग्रह विद्यमान रहते है। जो शरीर के विभिन्न स्थानों का प्रतिनिधित्व करते है। यह शरीर के विभिन्न स्थानों को बारे में हमें जानकारी देते है।


मानव शरीर में रवि का स्थान :- इंसान के माथे के बीच में सांस लेने वाली नाड़ी के एक अंगुल नीचे सूरज का स्थान होता है। चिंतन या सोचने का प्रतीक भी सूरज ही होता है। इसलिए हमारे ऋषियों-मुनियों ने सूरज का स्थान 'ब्रहा-रंन्ध्र' से एक अंगुली नीचे बताया है।


मानव शरीर में सोम का स्थान :- 'ब्रहा-रंन्ध्र'  से एक अंगुली और नीचे की ओर सोम का स्थान होता है। सोम को इंसान की भावुकता और चंचलता से जोड़ा जाता है। साथ ही कल्पना शक्ति से भी जोड़ा जाता है। क्योंकि सोम को सूरज से रोशनी लेनी पड़ती है। इसलिए सोम का सूरज के साए के नीचे रहना जरूरी है। जब सूरज का तेज यानी कि ज्ञान का उजाला जब सोम पर पड़ता है, तब इंसान की शक्ति, ओज और वीरता चमकती है।


मानव शरीर में भौम का स्थान :- गरुण पुराण के मुताबिक भौम ग्रह का स्थान मानव के नेत्रों यानी कि आंखों में माना जाता है। भौम ताकत और योग्यता का प्रतीक है, यह खून से सम्बन्ध रखता है। मानव की आंख मन का दर्पण होती है। इंसान की मन की दशा या हालत को उसकी आंखों से साफ पढ़ा और समझा जा सकता है। इसलिए भौम का स्थान नेत्रों को माना है।


मानव शरीर में सौम्य का स्थान :- मानव शरीर में सौम्य ग्रह का स्थान मानव ह्रदय में होता है। सौम्य बौद्धिकता का प्रतीक है। वाणी या बोली का कारक माना जाता है। यदि किसी भी आदमी का कार्य व्यवहार, काव्य शक्ति अथवा प्रवचन शक्ति जननी हो,तो सौम्य ग्रह को विशेष रूप से देखते है।


मानव शरीर में जीव का स्थान :- मानव शरीर में जीव का स्थान इंसान की नाभि में होता है। बृहस्पति वेद-पुराणों के जानकार हैं।ये समस्त शास्त्रों और ज्ञान के प्रतीक होते है। इसलिए बृहस्पति का स्थान नाभि में होता है।


मानव शरीर में भृगु  का स्थान :- मानव शरीर में भृगु का स्थान इंसान में वीर्य धातु में होता है। इसलिए सोचने की ताकत या इच्छा शक्ति का प्रतीक ग्रह भृगु को माना जाता है।


मानव शरीर में मन्द का स्थान :- मानव शरीर में मन्द का स्थान नाभि गोलक में होता है। रमल शास्त्र या अरबी ज्योतिष के मुताबिक किसी इंसान के चिन्तन या सोचने की गहराई और सोचने की शीलता को जानने के लिए मन्द ग्रह की स्थिति कहां-कहां और किस तरह से कितनी है। यह जानकारी गणित से जानकर मन्द ग्रह के फल के बारे में जान सकते है।


यदि किसी इंसान द्वारा रमल शास्त्र या अरबी ज्योतिष के नियमों के अनुसार एक ही स्थान पर मन्द ग्रह व जीव ग्रह रमल शास्त्र या अरबी ज्योतिष के गणित के मुताबिक एक निश्चित अनुपात में होने पर ऐसे इंसान खोज करने वाले, वेद-पुराणों के जानकार,शोधकर्ता  और शास्त्रार्थ करने वाले होते है।


मानव शरीर में राहु का स्थान :- मानव शरीर में  राहु का स्थान मुंह या मुख में होता है। यह एक ऐसा ग्रह है,जिसका कोई आधार नहीं होता है। इसकी मित्रता अच्छे और बुरे ग्रहों से भी होती है। इसलिए इसे जीभ पर जगह दी गई है। जिसका कोई भरोसा नहीं कि किस समय क्या और कैसे बोली से उच्चारण बोल दे। यदि भौम ग्रह की शक्ति इसके पीछे होने पर इंसान की जीभ गुस्से से भरी,गन्दी और बहादुरी पूर्ण बोली से बोलेगा। यदि सौम्य ग्रह की शक्ति इसके पीछे होने पर इंसान मीठी बोली से बोलेगा। यदि जीव ग्रह की शक्ति इसके पीछे होने पर ज्ञानवर्धक और शास्त्रार्थ की बोली से बोलने वाला इंसान होगा। यदि भृगु ग्रह की शक्ति इसके पीछे होने पर कामुक बातें करने वाला होता है।


मानव शरीर में केतु का स्थान :- मानव शरीर में केतु का स्थान इंसान में ह्रदय से कंठ तक होता है। इसका सम्बन्ध गुप्त चीजों से भी होता है। किसी भी कार्य के रहस्यों से भी होता है। इंसान भी कई बातों को कंठ तक लाकर रोक लेता है।वह अपनी जीभ पट भी नहीं लाता है। इसलिए केतु को गुप्त जगह से माना गया है।