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शनिवार, 22 सितंबर 2018

श्री शिवजी की आरती


श्री शिवजी की आरती



जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।





ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।





हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।





त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।





त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।





सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।





सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।





प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।





पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।





भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।





शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।





नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥





ॐ जय शिव ओंकारा





त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।





कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥





ॐ जय शिव ओंकारा