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शनिवार, 5 जनवरी 2013

कुंडली मिलन की समस्याएं



कुंडली मिलन की समस्याएं
* घोर मांगलिक योग और भाग्य पर निर्भरता :-





माता पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है यह जानना कि जिस जगह रिश्ता देखने जा रहे हैं वहां पर बात पक्की होगी या नहीं | होता यह है कि वर वधु के रिश्ते से लेकर शादी तक दोनों पक्ष काफी आशावादी होते हैं |





कुछ लोग छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज करते है या तो कुछ छोटी सी कमी को देखकर रिश्ता ठुकरा देते हैं |होना यह चाहिए कि रिश्ता आगे बढाने से पहले जन्म तारिख आदि पूछ लेनी चाहिए | बाद में पता चलता है कि बात काफी आगे बढ़ गई और लड़का घोर मांगलिक निकला या लड़की मांगलिक थी | ऐसी स्थिति में शादी के लिए मन कम ही लोग कर पाते हैं और सब कुछ भाग्य पर छोड़ देते हैं |







* क्या सब प्रश्नों का उत्तर जन्मकुंडली में नहीं है? :-







जिन लोगों के पास शादी के लिए काफी समय होता है कभी कभी वे अच्छे अच्छे रिश्ते छोटी सी कमी की वजह से ठुकरा देते हैं और जिनके पास समय नहीं होता वे पूरी तरह भाग्य पर निर्भर करते हैं | 







रिश्ते की बात आगे बढाने से पहले का समय काफी उत्सुकता का होता है | जैसे कि बताई गई आमदनी में कितना सच है, उम्र देखने में ज्यादा लगने पर शक होना, कोई बीमारी वगैरह जो कि छुपाना आम बात है, कोई अफेयर तो नहीं है वगैरह वगैरह | 







भावी वर वधु के बारे में जानने के लिए जासूस की तरह पूछताछ की जाती है ताकि हर छोटी छोटी बात पता चल सके | हर तरह से छानबीन करने के बाद भी मन में कुछ दुविधा अवश्य रहती है कि कहीं सब कुछ दिखावा न हो यहाँ भी कुदरत के बनाए भाग्य के सहारे वर वधु को सौंप दिया जाता है | 









* भाग्य ही सब कुछ है :-







अब यदि भाग्य ही सब कुछ है तो संजोग क्या चीज है | यदि जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं तो कुंडली क्यों मिलाएं | किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं | टीवी पर आने वाले ज्योतिषाचार्यों की फीस भी हर कोई खर्च नहीं कर सकता | 



अब रिश्ता भी एक बार देखकर तो किया नहीं जाता | हो सकता है कि एक ही महीने में कई जगह कुंडली मिलानी पड़े तो इस स्थिति में बार बार ज्योतिषी के दरवाजे खटखटाना भी हर कोई नहीं चाहता | 







स्वर्ग में बनने वाली जोड़ियाँ कुछ ऐसी भी होती हैं जो जल्दी टूट जाती हैं | इसलिए भाग्य के भरोसे वर वधु को छोड़ने से पहले जन्मकुंडली मिलान आवश्यक है | रिश्ता टूटने के बाद भी लोग ज्योतिषी के पास जाते देखे गए हैं


* कुंडली मिलान क्यों और कैसे ? :-











ज्योतिष का सामान्य ज्ञान हर व्यक्ति को यदि हो तो एक ज्योतिषी से बात करते ही आपको पता चल जाएगा कि सामने वाले व्यक्ति को कितना ज्ञान है | फिर अनुभवी विद्वान् की हर बात में किसी न किसी तरह का Logic अवश्य होगा | 







चाहे आपके पास विवाह तय करने के लिए समय हो या न हो | घोर मांगलिक आदि का विचार पहले से कर लिया जाए तो समय नष्ट नहीं होगा यह बात तय है | वर वधु की जासूसी की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी यदि ज्योतिष का सहारा लिया जाए | 







यदि बात भाग्य की है तो कर्म का सन्देश ईश्वर दिया है | उचित समय पर उचित कदम उठाना ही कर्म है | 








शादी होने में कुछ बाधाएं





शादी में देर एक बहुत ही सामान्य समस्या है | देर से शादी होने के परिणामस्वरूप कई बार उपयुक्त जीवन साथी नहीं मिल पाता | इस समस्या में ग्रह योगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है | 







इस विषय में प्रस्तुत है कुछ ऐसे योग जिन्हें ज्योतिष का सामान्य ज्ञान रखने वाला व्यक्ति भी पढ़कर पता लगा सकता है कि शादी की उम्र क्या होगी | या अमुक व्यक्ति की शादी कब होगी अस्तु | 







शादी में देर से यहाँ अभिप्राय उस समय से है जब आप शादी करना चाहते हो और कहीं कोई बात बन नहीं पा रही है | पुराने समय में जब बाल विवाह होते थे तब बीस की उम्र को बहुत अधिक माना जाता था | 







कुंडली का सातवाँ घर बताता है कि आपकी शादी किस उम्र में होगी | शादी के लिए दिशा कौन सी उपयुक्त रहेगी जहाँ प्रयास करने पर जल्द ही शादी हो सके | 







शुक्र बुध गुरु और चन्द्र यह सब शुभ ग्रह हैं | इन में से कोई एक यदि सातवें घर में बैठा हो तो शादी में आने वाली रुकावटें स्वत: समाप्त हो जाती हैं | अर्थात अधिक इन्तजार नहीं करना पड़ता परन्तु यदि इन ग्रहों के साथ कोई अन्य ग्रह भी हो तो शादी में व्यवधान अवश्य आता है | 







राहू मंगल शनि सूर्य यह सब अशुभ ग्रह हैं | इनका सातवें घर से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध शादी या दाम्पत्य के लिए शुभ नहीं होगा | फिर भी भविष्यवाणी करने के लिए ग्रह और उनकी राशि स्थिति पर विचार करना आवश्यक होगा है | 







अधिकतर लोग जिनकी कुंडली में शादी होने में कुछ बाधाएं आने का योग होता है ग्रह स्थिति निम्न प्रकार से होती है | 











* बीस से चौबीस वर्ष की उम्र में शादी :-







बुध शीघ ही शादी करवाता है | सातवें घर में बुध हो तो शादी जल्दी होने के योग होते हैं | बीस वर्ष की उम्र में शादी होती है यदि बुध पर कोई किसी अन्य ग्रह का प्रभाव न हो | बुध यदि सातवें घर में हो तो सूर्य भी एक स्थान पीछे या आगे होगा या फिर बुध के साथ सूर्य के होने की संभावना रहती है | सूर्य साथ हो तो दो साल का विलम्ब शादी में अवश्य होगा | इस तरह उम्र बाईस में शादी का योग बनता है | यदि सूर्य के अंश क्षीण हों तो शादी केवल बीस से इक्कीस वर्ष की उम्र में हो जाती है | 







अभिप्राय यह है कि बीस से चौबीस की उम्र में शादी का योग बनता है जब बुध सातवें घर में हो | 









* चौबीस से सत्ताईस की उम्र में शादी का योग :-





यदि शुक्र गुरु या चन्द्र आपकी कुंडली के सातवें घर में हैं तो चौबीस पच्चीस शादी की उम्र में होने की प्रबल संभावना रहती है 







गुरु सातवें घर में हो तो शादी पच्चीस की उम्र में होती है | गुरु पर सूर्य या मंगल का प्रभाव हो तो शादी में एक साल की देर समझें | राहू या शनि का प्रभाव हो तो दो साल की देर यानी सत्ताईस साल की उम्र में शादी होती है | शुक्र सातवें हो और शुक्र पर मंगल, सूर्य का प्रभाव हो तो शादी में दो साल की देर अवश्यम्भावी है | शनि का प्रभाव होने पर एक साल यानी छब्बीस साल की उम्र में और यदि राहू का प्रभाव शुक्र पर हो तो शादी में दो साल का विलम्ब होता है | 







चन्द्र सातवें घर में हो और चन्द्र पर मंगल, सूर्य में से किसी एक का प्रभाव हो तो शादी छब्बीस साल की उम्र में होने का योग होगा | शनि का प्रभाव मंगल पर हो तो शादी में तीन साल का विलम्ब होता है | राहू का प्रभाव होने पर सत्ताईस वर्ष की उम्र में काफी विघ्नों के बाद शादी संपन्न होती है | 







कुंडली के सातवें घर में यदि सूर्य हो और उस पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव न हो तो सत्ताईस वर्ष की उम्र में शादी का योग बनता है | शुभ ग्रह सूर्य के साथ हों तो विवाह में इतनी देर नहीं होती | 











* अट्ठाईस से बत्तीस वर्ष की उम्र में शादी का योग :-







मंगल, राहू केतु में से कोई एक यदि सातवें घर में हो तो शादी में काफी देर हो सकती है | जितने अशुभ ग्रह सातवें घर में होंगे शादी में देर उतनी ही अधिक होगी | मंगल सातवें घर में सत्ताईस वर्ष की उम्र से पहले शादी नहीं होने देता | राहू यहाँ होने पर आसानी से विवाह नहीं होने देता | बात पक्की होने के बावजूद रिश्ते टूट जाते हैं केतु सातवें घर में होने पर गुप्त शत्रुओं की वजह से शादी में अडचनें पैदा करता है | 







शनि सातवें हो तो जीवन साथी समझदार और विश्वासपात्र होता है | सातवें घर में शनि योगकारक होता है फिर भी शादी में देर होती है | शनि सातवें हो तो अधिकतर मामलों में शादी तीस वर्ष की उम्र के बाद ही होती है | 










* बत्तीस से चालीस वर्ष की उम्र में शादी :-






शादी में इतनी देर तब होती है जब एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव सातवें घर पर हो | शनि मंगल, शनि राहू, मंगल राहू या शनि सूर्य या सूर्य मंगल, सूर्य राहू एक साथ सातवें या आठवें घर में हों तो विवाह में बहुत अधिक देरी होने की संभावना रहती है | 







हालांकि ग्रहों की राशि और बलाबल पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है परन्तु कुछ भी हो इन ग्रहों का सातवें घर में होने से शादी जल्दी होने की कोई संभावना नहीं होती









* जन्म कुंडली में नवग्रहों का शुभ और अशुभ प्रभाव :-





नवग्रहों का शुभ और अशुभ प्रभाव जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के अनुरूप होता है। जन्म कुंडली में ग्रह शुभ प्रभाव दें तो जीवन में सकारात्मकता का समावेश होता है और अशुभ प्रभाव दें तो जीवन में नकारात्मकता का समावेश होता है। प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रह सम्बन्धी निम्न वस्तुओं का दान करना चाहिए। जिससे समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। यह दान इतने सरल और सुगम हैं, जिन्हें कोई भी साधारण व्यक्ति


आसानी से कर सकता है। 







सूर्य - तांबा, गेहूं व गुड़। 







चंद्र - चावल, दूध, चांदी या मोती। 







मंगल - मूंगा, मसूर दाल, खांड, सौंफ। 







बुध - हरी घास, साबुत मूंग, पालक। 







गुरु - केसर, हल्दी, सोना, चने की दाल का दाल। 







शुक्र - दही, खीर, ज्वार या सुंगधित वस्तु। 







शनि - साबुत उड़द, लोहा, तेल या तिल । 







राहु - सिक्का, जौ या सरसों। 







केतु - केला, तिल या काला कंबल। 







उपाय के लिये विशेष नियम ग्रहों के दुष्प्रभाव शीघ्र दूर करने के लिए 43 दिन तक प्रतिदिन उपाय करने चाहिए। यदि बीच में प्रयोग खंडित हो जाए तो फिर से शुरू करें। ये उपाय दिन के समय करने चाहिए। एक दिन में केवल एक ही उपाय करना चाहिए। जातक के असमर्थ होने पर खून के रिश्ते वाला कोई व्यक्ति उसके नाम से यह उपाय कर सकता है।








* ग्रहों से होने वाली परेशानियां :-








प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है। कुंडली में कुल बारह भाव होते हैं सभी भाव के अलग-अलग स्वामी होते हैं। आप खुद ही देख सकते हैं की कौन सा ग्रह खराब है और उसका उपाय कैसे करें। ग्रहों से होने वाली परेशानियां इस प्रकार हैं। 







सूर्य : सरकारी नौकरी या सरकारी कार्यों में परेशानी, सिर दर्द, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थि रोग, चर्म रोग, पिता से अनबन आदि। 







चंद्र : मानसिक परेशानियां, अनिद्रा, दमा, कफ, सर्दी, जुकाम, मूत्र रोग, स्त्रियों को मासिक धर्म, निमोनिया। 







मंगल : अधिक क्रोध आना, दुर्घटना, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, बवासीर, भाइयों से अनबन आदि। 







बुध : गले, नाक और कान के रोग, स्मृति रोग, व्यवसाय में हानि, मामा से अनबन आदि। 







गुरु : धन व्यय, आय में कमी, विवाह में देरी, संतान में देरी, उदर विकार, गठिया, कब्ज, गुरु व देवता में अविश्वास आदि। 







शुक्र : जीवन साथी के सुख में बाधा, प्रेम में असफलता, भौतिक सुखों में कमी व अरुचि, नपुंसकता, मधुमेह, धातु व मूत्र रोग आदि। 







शनि : वायु विकार, लकवा, कैंसर, कुष्ठ रोग, मिर्गी, पैरों में दर्द, नौकरी में परेशानी आदि। 







राहु : त्वचा रोग, कुष्ठ, मस्तिष्क रोग, भूत प्रेत वाधा, दादा से परेशानी आदि। 







केतु : नाना से परेशानी, भूत-प्रेत, जादू टोने से परेशानी, रक्त विकार, चेचक आदि।



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