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मंगलवार, 8 जनवरी 2013

मंगल का राशि परिवर्तन ओर गोचर में मंगल





मंगल का राशि परिवर्तन ओर गोचर में मंगल
* मंगल का राशि फल :-



जन्म कुंडली में मंगल का मेषादि राशियों में स्थित होने का फल इस प्रकार है :-





१. मेष :-  में मंगल हो तो जातक तेजस्वी ,सत्यप्रिय ,वीर ,युद्ध प्रिय ,साहसी ,कार्य में तत्पर , भ्रमणशील ,धनी ,दानी, क्रोधी होता है |





२. वृष :- में मंगल हो तो जातक अधिक बोलने वाला ,मंद धन व पुत्र से युत, द्वेषी ,अविश्वासी, उदंड ,अप्रिय भाषी ,संगीत रत , मित्र व बन्धुविरोधी ,पाप करने वाला होता है |





३. मिथुन :- में मंगल हो तो जातक कष्ट को सहन करने वाला ,बहुत विषयों का ज्ञाता ,शिल्प कला में कुशल,विदेशगमनरत ,धर्मात्मा ,बुद्धिमान शुभचिंतक ,अधिक कार्यों में लीन होता है |





४. कर्क :- में मंगल हो तो जातक परगृह निवासी,रोग व पीड़ा से विकल , अशांत ,कृषि से धन प्राप्त करने वाला,जल के कार्यों से धनी होता है





५. सिंह :- में मंगल हो तो जातक असहनशील ,वीर ,मांसाहारी ,दूसरों की वस्तुओं का अपहरण करने वाला, पहली पत्नी से हीन ,धर्मफल हीन तथा क्रिया में उद्यत होता है |




६. कन्या :- में मंगल हो तो जातक पूज्य,धनी ,प्रिय भाषी ,अधिक व्यय करने वाला ,संगीत प्रिय ,शत्रु से अधिक डरने वाला तथा स्तुति करने में चतुर होता है




७. तुला :- मे मंगल हो तो जातक पर्यटन शील ,हीनांग ,दूषित व्यापार वाला ,युद्ध का इच्छुक ,दूसरे की वस्तु का उपभोग करने वाला ,पहली स्त्री से रहित होता है |





८. वृश्चिक :- में मंगल हो तो जातक कार्य चतुर ,चोर ,युद्ध प्रिय ,अपराधी ,द्वेष- हिंसा और अकल्याण में रूचि रखने वाला ,चुगलखोर ,विष –अग्नि व घाव से पीड़ित होता है |





९. धनु :- में मंगल हो तो जातक कृशांग,कटु भाषी ,युद्ध कर्ता,अधिक मेहनत से सुखी,क्रोध के कारण अपने धन व सुख का नाशक होता है |





१०. मकर :- में मंगल हो तो जातक धन्य ,धनी ,सुख भोग से युक्त ,स्वस्थ ,प्रसिद्ध ,सेनापति ,युद्ध में विजय प्राप्त करने वाला ,सुशीला स्त्री का पति, स्वतंत्र होता है |





११. कुम्भ :- में मंगल हो तो जातक विनय तथा पवित्रता से रहित ,वृद्धाकार ,अधिक रोम से युक्त देह वाला ,ईर्ष्यालु, निंदा व असत्य वादन से धन नष्ट कर्ता ,लाटरी जुए में धन खोने वाला ,दुखी ,मद्य पीने वाला भाग्य हीन होता है |





१२. मीन :- में मंगल हो तो जातक रोगी ,अल्प पुत्रवान ,परदेस वासी ,अपने बंधुओं से तिरस्कृत ,कपट व धूर्तता के कारण धन नष्ट करने वाला ,गुरु ब्राह्मण का अनादर करने वाला ,हीन बुध्धि का ,स्तुति प्रिय होता है |





* गोचर में मंगल :-




जन्म या नाम राशि से तीसरे ,छटे तथा ग्यारहवें स्थान पर मंगल शुभ फल देता है |


जन्मकालीन चन्द्र से प्रथम स्थान पर मंगल का गोचर रक्त विकार असफलता,ज्वर,अग्नि,से हानि करता है | यात्रा में दुर्घटना का भय रहता है ,इस्त्री को कष्ट होता है |



दूसरे स्थान पर मंगल का गोचर नेत्र दोष , कठोर वचन ,विद्या हानि ,परिवार में मतभेद ,कुभोजन व असफलता दिलाता है |



तीसरे स्थान पर मंगल का गोचर धन लाभ, शत्रु पराजय ,प्रभाव में वृद्धि ,राज्य से लाभ , शुभ समाचार प्राप्ति कराता है | मन प्रसन्न रहता व भाग्य अनुकूल रहता है|



चौथे स्थान पर मंगल का गोचर स्वजनों से विवाद ,सुख हीनता ,छाती में कफ विकार ,जल से भय करता है|जमीन –जायदाद की समस्या ,माँ को कष्ट ,जन विरोध का सामना होता है



पांचवें स्थान पर मंगल का गोचर मन में अशांति ,उदर विकार,संतान कष्ट ,विद्या में असफलता करता है | मन पाप कार्यों की तरफ जाता है |



छ्टे स्थान पर मंगल का गोचर धन लाभ ,उत्तम स्वास्थ्य ,शत्रु पराजय , यश मान में वृद्धि देता है|



सातवें स्थान पर मंगल के गोचर से स्त्री से कलह ,स्त्री को कष्ट ,यात्रा में हानि ,दांत में पीड़ा ,व्यापार में हानि करता है |



आठवें स्थान पर मंगल के गोचर से पित्त रोग ,विवाद ,शारीरिक कष्ट ,पाचन हीनता दुर्घटना अग्नि ,हिंसा व बिजली से भय होता है |गुदा सम्बन्धी रोग होता है | भाई से अनबन व कार्य हानि होती है |



नवें स्थान पर मंगल के गोचर से संतान कष्ट ,भाग्य की विपरीतता ,सरकार की और से परेशानी होती है | धर्म के विरुद्ध आचरण होता है | कूल्हे में चोट का भय होता है |



दसवें स्थान पर मंगल के गोचर से रोजगार में बाधा ,पिता को कष्ट व राज्य से प्रतिकूलता होती है |



ग्यारहवें स्थान पर मंगल के गोचर से आय वृध्धि ,व्यापार में लाभ , आरोग्यता, भूमि लाभ,भाइयों को सुख ,कार्यों में सफलता ,शत्रु पराजय , मित्र सुख व लाल पदार्थों से लाभ होता है |



बारहवें स्थान पर मंगल के गोचर से अपव्यय , स्थान हानि,स्त्री को कष्ट , शारीरिक कष्ट ,मानसिक चिंता होती है तथा किसी गलत कार्य में रूचि होती है |





* मंगल शान्ति के उपाय :- 





जन्मकालीन मंगल निर्बल होने के कारण अशुभ फल देने वाला हो तो निम्नलिखित उपाय करने से बलवान हो कर शुभ फल दायक हो जाता है |



रत्न धारण :– 

लाल रंग का मूंगा सोने या ताम्बे की अंगूठी में मृगशिरा ,चित्रा या अनुराधा नक्षत्रों में जड़वा कर मंगलवार को सूर्योदय के बाद पुरुष दायें हाथ की तथा स्त्री बाएं हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करें | धारण करने से पहले ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मन्त्र के १०८ उच्चारण से इस में ग्रह प्रतिष्ठा करके धूप,दीप , लाल पुष्प, गुड ,अक्षत आदि से पूजन कर लें |



दान व्रत ,जाप :- 

मंगलवार के नमक रहित व्रत रखें , ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मन्त्र का १०००० संख्या में जाप करें | मंगलवार को गुड शक्कर ,लाल रंग का वस्त्र और फल ,ताम्बे का पात्र ,सिन्दूर ,लाल चन्दन केसर ,मसूर की दाल इत्यादि का दान करें | श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुभ रहता है |



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