* हाथ देखने के नियम :-
हाथ को दिखाने वाले के लिए नियम
1. हाथ को किसी भी समय देखा जा सकता है परन्तु इसके लिए सर्वोत्तम समय प्रातःकाल का होता है जबकि दिखाने वाले ने भोजन या नाश्ता न किया हो । मेरा ऐसा अनुभव है कि भोजन करने पर रक्त का भ्रमण तेज हो जाता है, जिसकी वजह से उसके हाथ की महीन रेखाएं अदृश्य सी हो जाती हैं। ऐसी स्थिति पाने पर सूक्ष्मवर्षक यंत्र का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए।
2. हाथ दिखाने से पूर्व हाथ दिखाने वाला पृच्छक स्नान किया हुआ हो, नींद से उठा हुआ, गन्दा या आलस्य से भरा हुआ शरीर, वातावरण को बोझिल बना देता है और इससे भविष्य कथन में बाधा आती है।
3. अत्यधिक भोजन करने के बाद या व्यायाम करने के बाद भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए । लगातार कार्य करते-करते एकदम से उठकर भी हाथ दिखाना ज्यादा उचित एवं अनुकूल नहीं कहा जा सकता।
4. अत्यधिक गर्मी में या अत्यधिक सर्दी में भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि ज्यादा गर्मी पड़ने से हथेली जरूरत से ज्यादा लाल रहती है और उससे उसका वास्तविक रंग अनुभव नहीं होता।
5. शराब पीया हुमा, नशा किया हुआ या असहजावस्था में भी हस्तरेखा विशेषज्ञ के पास नहीं जाना चाहिए ।
हाथ देखने वाले के लिए नियम
1. जिस समय क्रोध की अवस्था हो या किसी वजह से परेशानी हो उस समय हाथ नहीं देखना चाहिए। यदि कोई हाथ दिखाने के लिए आ ही जाए तो नम्रता-पूर्वक उसे मना कर देना चाहिए।
2. हाथ देखते ही उसके सम्बन्ध में अच्छी या बुरी बात अथवा भविष्यफल स्पष्ट नहीं कर देना चाहिए । इससे कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। उदाहरणार्थ यदि किसी की मृत्यु एक महीने बाद ही दिखाई देती हो तो यह बात अप्रत्याशित रूप से सामने वाले को कह देना किसी प्रकार से अनुकूल नहीं है ।
3. सामने वाले व्यक्ति के प्रति तटस्थ भाव रखकर के ही हाथ देखना चाहिए । अत्यधिक प्रिय या शत्रु होने पर हाथ देखने वाला तटस्थ नहीं रह पाता और इससे उसके फल-कथन में अस्वाभाविकता आ जाती है।
4. हाथ देखकर जब पूरी तरह से सन्तुष्ट हो जाए और दूसरे हाथ से भी उसकी प्रामाणिकता स्पष्ट हो जाए तभी उसको फल-कथन करना चाहिए ।
यदि ऊपर के तथ्य ध्यान में रखते हुए हस्तरेखा विशेषज्ञ किसी भी व्यक्ति के हाथ का अध्ययन करे तो वह निस्सन्देह सही भविष्य कथन कर सकता है और जिस प्रकार व्यक्ति स्वच्छ दर्पण में अपनी परछाई देख सकता है, उसी प्रकार उसके हाथ के माध्यम से उसका भविष्य जान सकता है।