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सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

ज्योतिष शास्त्र में सुंदरता एवं कुरूपता

ज्योतिष शास्त्र में सुंदरता एवं कुरूपता

मानव शरीर रचना की सुंदरता एवं कुरूपता पर ज्योतिषीय ग्रहों का प्रभाव :- सुंदरता प्राणी मात्र को मिला प्रकृति का अनुपम उपहार है। पंचतत्वों पृथ्वी, अग्नि, वायु, जल और आकाश से बना शरीर आकर्षण व घृणा दोनों का केंद्र होता है। सभी का जन्मदाता एक ईश्वर है, तो जन्म के बाद रंग, रूप, वाणी, विचार, सबके अलग-अलग होते हैं।


जातक के जन्म के बाद सारा जिम्मा नवग्रहों का ही होता है। जातक के प्रारब्ध के आधार पर नवग्रह प्रकृति के द्वारा निर्धारित शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। इस प्रकार अंतरण को आह्लादित करने वाली सुंदरता पर नवग्रहों का व्यापक प्रभाव पड़ता है।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार :- जातक या जातिका की जन्मकुंडली में शुक्र,चन्द्रमा व बुध का योग होने पर वह सुंदरता की प्रतिमूर्ति बनता है।


नवग्रहों में शुक्र को सुंदरता, चंद्रमा को कांति व सौम्यता, बुध को वाणी की कुशलता व चिरयौवन देने वाला, सूर्य को तेज, मंगल को आकर्षक व लाल रंग या रक्तवर्ण शरीर और गुरु को आकर्षण के साथ सुंदर नाक-नक्श प्रदान करने वाला माना जाता हैं। 


सुंदरता देने में शनि का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि शनि पतली काया, घने-गहरे काले बाल, बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें देने वाला होता है। 


जन्मकुंडली में किसी एक ग्रह का विशेष प्रभाव होने पर जातक के उस ग्रह से संबंधित अंगों पर :- उसका प्रभाव दिखता है।


यदि शुक्र लग्न में हो, तो जातक बहुत ही सुंदर होता है 


यदि शुक्र के साथ लग्न में यदि शनि होने पर जातक का शरीर कांतिमय व पतला रहता है।


यदि शुक्र के साथ सूर्य होने पर जातक के बाल मखमल के समान चमकीले होते हैं।


यदि शुक्र और सूर्य के साथ यदि बुध हो, तो जातक के बाल घुंघराले होते हैं।


यदि शुक्र के साथ यदि चंद्रमा व शनि भी  मिल जाए तो जातक का चेहरा ओर भी आकर्षण प्रदान करने वाला होता है, व उसके बालों की सुंदरता ओर भी अधिक आकर्षक होती है।


यदि चंद्रमा बलवान या वर्गोत्तम हो, तो जातक अपनी मुस्कान से पतझड़ में भी बाहर ला देता है। 


स्त्री जातक के शरीर का सुंदर :- होने के कारण ज्योतिष शास्त्र में निम्नलिखित है:


यदि स्त्री जातक की जन्मकुंडली में शुभ ग्रह के साथ यदि पाप या क्रूर ग्रहों का मेल हो जाए तो विशेष गुण देखने को मिलते हैं 


अकेला शुभ ग्रह हो, तो मोटापा लाकर उसकी सुंदरता को बिगाड़ देता है 


स्त्री जातक की जन्मकुंडली में लग्न से द्वितीय व द्वादश भाव में शुभ ग्रह हो, तो उसकी आंखें अलग प्रकार की  एवं गजब होती है।


यदि द्वितीय भाव और द्वादश भाव में शनि हो, तो स्त्री जातक की आंखें बड़ी-बड़ी गोल होती हैं। ऐसे जातक स्त्री को 'विलोलनेत्रा तरुणी सुशीला' कहा जाता है।


यदि सूर्य-शुक्र का मेल होने पर पतले मगर भरे-भरे होंठ व आकर्षक चेहरा प्रदान करने वाला होता है।


यदि सूर्य-शुक्र के साथ गुरु का भी मेल हो,तो जातक की नाक सुंदर होती हैं।


इसी प्रकार अग्नि तत्व प्रधान राशियों मेष, सिंह और धनु की स्त्री जातक के शरीर का अधोभाग ज्यादा सुंदर होता है


यदि पाप, क्रूर ग्रह (मंगल, सूर्य, केतु आदि) उपस्थित हो तो उसकी सुंदरता को चार चांद लग जाते हैं।


नारी की सुंदरता का अभिन्न अंग उरु प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर्क राशि, जबकि कमर या कटी प्रदेश का प्रतिनिधित्व कन्या राशि करती हैं।


इसमें यदि बुध स्थित हो तो जातक की कमर पतली  इसके साथ ही शनि हो, तो कमर अत्यंत पतली होती हैं। ज्योतिष में शनि को कमजोर शरीर को योगी माना गया है और सुंदरता के लिए कमजोर शरीर वाला व योगी माना गया है और सुंदरता के लिए कृशशरीर होना जरूरी है।


ज्योतिष शास्त्र में शनि को सांवली सूरत का प्रतिनिधित्व ग्रह माना जाता है फिर भी यह जातकों को अतिसुंदर बना देता है। गोरों लोगों से सांवले रंग वाले अधिक आकर्षक और सुंदर होते हैं इस प्रकार शनि के योग के बगैर सुंदरता कोई पैमाना अधूरा माना जाता है और आकर्षक लोगों पर शनि का अधिकार होता है।


यदि शनि धनु राशि या मकर राशि में हो तो जातक का जानु प्रदेश (जंघा, घुटनाआदि) एक समान होते है।जबकि मीन राशि के गुरु के साथ मंगल होने से जातक के पांव कोमल व लाल तथा नाखून आकर्षक होते हैं।