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शनिवार, 22 सितंबर 2018

श्री विष्णु जी की आरती


श्री विष्णु जी की आरती



ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |





भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,





क्षण में दूर करे, ॐ जय जगदीश हरे ..





जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का,





सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, 





कष्ट मिटे तन का, ॐ जय जगदीश हरे ..





मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी,





तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी 





ॐ जय जगदीश हरे …





तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी,





स्वामी तुम अन्तर्यामी, पारब्रह्म परमेश्वर, 





तुम सब के स्वामी, ॐ जय जगदीश हरे ..





तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,





स्वामी तुम पालनकर्ता, मैं मूरख फलकामी





मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता, 





ॐ जय जगदीश हरे ..





तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,





स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय,





किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति,





ॐ जय जगदीश हरे..





दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, तुम ठाकुर मेरे,





स्वामी तुम ठाकुर मेरे, अपने हाथ उठाओ,





अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे,





ॐ जय जगदीश हरे.. 





विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,





स्वमी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,





श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा,





ॐ जय जगदीश हरे..तन मन धन सब कुछ है सब कुछ है तेरा ,





प्रभु सब कुछ है तेरा, तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा 





ॐ जय जगदीश हरे …. 





ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |





भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,





क्षण में दूर करे, ॐ जय जगदीश हरे ….